नई दिल्ली: नोबल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन का आज जन्मदिन है। वे आज 89 वर्ष के हो चुके हैं। 3 नवंबर 1933 को जन्मे सेन, दिल्ली यूनिवर्सिटी, नालंदा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, MIT, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, बर्कले यूनिवर्सिटी जैसे कई संस्थानों में पढ़ा चुके हैं और फ़िलहाल हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्राध्यापक हैं. वर्ष 1998 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था. बता दें कि, शिक्षा से अमर्त्य सेन का जुड़ाव तो जन्म से ही था, दरअसल उनका जन्म ही शैक्षणिक कैंपस में हुआ था. वे रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित शांतिनिकेतन में जन्मे था. अब इसका नाम विश्व भारती का कैंपस है. शांति निकेतन में उनके नाना क्षितिमोहन सेन संस्कृत और मध्ययुगीन भारतीय संस्कृति के टीचर थे. वहीं उनके पिता आशुतोष सेन ढाका में केमेस्ट्री के प्रोफेसर थे. अमर्त्य सेन ने 1953 में कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन किया और फिर कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रिनिटी कॉलेज से उन्होंने PHD की पढाई की. आपको जानकर हैरानी होगी कि पहले अमर्त्य सेन का झुकाव संस्कृत, मैथ और फिजिक्स में था, लेकिन बाद में उनकी रुचि अर्थशास्त्र में हुई और फिर उन्होंने इसी विषय को चुना. 1943 में बंगाल में आए भयंकर अकाल ने उनके मन पर गंभीर असर डाला था. उन्होंने इस अकाल को बचपन में अपनी आंखों से देखा था, जिसमें लाखों लोगों की जान चली गई थी. इसका प्रभाव ऐसा पड़ा कि उन्होंने बड़े होकर गरीबी और भूख पर काफी काम किया. बता दें कि, गरीबी और भूख जैसे विषयों पर काम करने को लेकर उन्हें 1998 में अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार से नवाज़ा गया. नोबेल पुरस्कार देने वाली समिति ने तब उनके संबंध में कहा था कि, प्रोफेसर अमर्त्य सेन ने कल्याणकारी अर्थशास्त्र की बुनियादी समस्याओं के शोध में अहम योगदान दिया है.' 1999 में भारत सरकार ने प्रो सेन को भारत रत्न से नवाज़ा था. तमिलनाडु में हर साल मनेगी राज राजा चोल की जयंती, सरकार खुद करेगी आयोजन मोरबी हादसे को लेकर वकीलों का बड़ा फैसला, नहीं लड़ेंगे आरोपियों का केस 'स्नान करने जा रहे हैं भगवान विष्णु..', 5 घंटे तक बंद रहा केरल का ये एयरपोर्ट, सभी फ्लाइट्स स्थगित