NCAER घटा रहा ग्रोथ रेट, ग्रोथ को गति देने के लिए खर्च बढ़ाना जरुरी

इकोनॉमिक थिंक टैंक एनसीएईआर ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान घटाकर 4.9 परसेंट तक कर दिया गया है। ग्रोथ रेट में गिरावट का यह अनुमान करीब सभी सेक्टर में मौजूदा सुस्ती को देखते हुए लगाया गया है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान जीडीपी ग्रोथ रेट पांच परसेंट रही थी, जो बीते छह वर्षो का निचला स्तर है।

दिल्ली आधारित नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) ने पूरे वित्त वर्ष (2019-20) के लिए भी जीडीपी ग्रोथ रेट 4.9 परसेंट ही रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। बीते वर्ष यह 6.8 परसेंट रही थी। एनसीएईआर के अनुसार अकेले मौद्रिक नीति के माध्यम से ग्रोथ रेट को पटरी पर लाना संभव नहीं हो सकता है। 

राजस्व घाटे को नियंत्रण में रखते हुए खर्च बढ़ाया जाना चाहिए। मंडल ने कहा कि इसके लिए कई तरीके हैं। हमारे पास कड़े फैसले लेने वाला केंद्रीय नेतृत्व है। चालू वित्त वर्ष में कई मदों में खर्च के लिए बहुत गुंजाइश है। इसलिए यह कहना भी गलत होगा कि खर्च की गुंजाइश नहीं है। मंडल के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में खर्च बहुत कम हुआ है, यहां तक कि सरकार ने भी अपने सारे भुगतान नहीं चुकाए हैं। इसके अलावा हमें कई तरह के सुधारों की जरूरत है। सरकार को अप्रत्यक्ष करों और सीमा शुल्क में छूट देने से बचना चाहिए। 

अन्य एजेंसियों का अनुमान: एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की विकास दर का अनुमान 50 आधार अंक घटाकर 6.5 प्रतिशत रखा था। ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) ने भी चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्घि के पूर्वानुमान में 1.3 प्रतिशत की बड़ी कमी करते हुए उसे 5.9 प्रतिशत रखा था। मुख्या  ग्लोबल रेटिंग एजेंसियों, स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी) और फिच ने भी भारत की विकास दर को लेकर पूर्वानुमान में कटौती की है। 

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