अमेरिकी दवा नियामक यूएसएफडीए की तरफ से लगातार भारतीय फार्मा कंपनियों के संयंत्रों का निरीक्षण किए जाने की वजह से दवा निर्यात घटा है। यह स्थिति तब है, जब अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार के कारण भारतीय फार्मा उद्योग के समक्ष बिजनेस के मौके बढ़ गए हैं। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) में फार्मा सेक्टर के लिए राष्ट्रीय समिति के चेयरमैन जीवी प्रसाद ने सोमवार को कहा कि लगातार निरीक्षण का भारतीय दवा निर्यात पर असर हुआ है। दवा निर्यात में नरमी की एक बड़ी वजह यही है। प्रसाद डॉक्टर रेड्डीज लेबोरेटरीज के वाइस चेयरमैन व एमडी भी हैं। प्रसाद ने कहा कि कई भारतीय दवा कंपनियों को मिलने वाली अनुमति लटक गई है और कई को चेतावनी पत्र मिले हैं। इसने नए प्रोडक्ट की लांचिंग और उनके विकास को प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि हर किसी को गुणवत्ता, व्यवस्था, अनुशासन, आंकड़ों के एकीकरण को लेकर अपना-अपना स्तर ऊंचा करना होगा। ये सभी बातें इंडस्ट्री के लिए महत्वपूर्ण हैं। पश्चिमी देशों ने बदली रणनीति - प्रसाद के अनुसार वैश्विक दवा उद्योग के लिए दवा बनाने में उपयोग होने वाले एक्टिव फार्मास्युटिकल्स इनग्रेडिएंट्स (एपीआइ), सामग्री और रसायनों के लिए चीन बड़ा स्रोत रहा है। परन्तु, अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार ने पश्चिमी देशों को एशियाई देशों पर निर्भरता को लेकर पुनर्विचार करने के लिए बाध्य किया है। इसलिए दवा पर लगने वाले शुल्कों पर इसका असर देखा जा सकता है। स्वास्थ्य पर निवेश बढ़ाने की जरूरत - प्रसाद के अनुसार सरकार को प्राथमिक स्वास्थ्य पर और निवेश करने की जरूरत है। भारत में अन्य देशों के मुकाबले दवा सस्ती है। इस मामले में जनता की खरीद क्षमता बड़ा मसला है, क्योंकि देश में कोई राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम नहीं हो रहा है। PMC बैंक के डिफॉल्टरों को जल्द मिल सकती है राहत, संपत्ति को डिटैच करने की तैयारी कर रही ED इंदौर के तीन दोस्तों की कंपनी ने फोब्स इंडिया के कवर पेज पर बनाई जगह पहले दिन बढ़त के साथ खुला शेयर बाजार, रूपये में आयी तेजी