नईदिल्ली। अक्सर संसद में हंगामा होने और संसद की कार्रवाईयां स्थगित होने पर आप सांसदों को दोष देते रहते होंगे। आप कहते होंगे कि आखिर संसद में इस तरह शोर करने का क्या अर्थ है। संसद की कार्रवाई इस बार शीतकालीन सत्र में भी हंगामाखेज रही। ऐसे में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही एक दूसरे को दोष देते रहे। मगर ऐसे भी एक सांसद हैं जो संसद की कार्रवाई न होने पर अपने लिए आर्थिक लाभ नहीं लेते हैं । दरअसल बीजू जनता दल के सांसद जय पांडा लोकसभा की कार्रवाई न होने पर परेशान थे और ऐसे में उन्होंने जिस दिन लोकसभा के समय का नुकसान हुआ उतना वेतन और भत्ता वापस कर दिया इतना ही नहीं वे करीब 4 से 5 वर्ष से अपना वेतन और भत्ता वापस लौटा रहे हैं। उनका कहना था कि संसद में गतिरोध कभी नहीं किया लेकिन जब संसद में काम नहीं हो पा रहा है तो दुख होता है। हम वह काम नहीं कर पा रहे हैं जो होना चाहिए। संसद की कार्रवाई बाधित होने पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने चिंता जताई थी उन्होंने कहा था कि संसद की कार्रवाई को हम इस तरह से हर दिन विरोध कर रोक नहीं सकते। उन्होंने कहा कि सभी को अपना काम करना चाहिए। इतना ही लालकृष्ण आडवाणी ने तो तृणमूल कांग्रेस के सांसद इदरीस अली से कहा था कि यदि अटल जी संसद में होते तो वे बहुत दुखी होते। मुझे भी कई बार ऐसा लगता है कि मैं इस्तीफा दे दूं। नोटबंदी को लेकर सरकार ने ठीक से नहीं किया होमवर्क आलू कहां होता है नहीं जानते हैं और कर रहे हैं यूपी के डेवलपमेंट की बात