भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल झीलों की नगरी के नाम से जाना जाता है। यह मध्य प्रदेश के सबसे प्राचीन शहरों में भी आता है। भोपाल में ऐतिहासिक इमारते, मकबरे और संग्रहालय है, जो अक्सर पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बना रहता है। इसका बड़ा तालाब भी बहुत मशहूर है। लोग अक्सर इसके किनारे बैठा करते है। लेकिन इसी तालाब के नीचे एक प्राचीन नगर बसा हुआ है। ऐसा कहना भाजपा के सांसद आलोक शर्मा का है। इस दावे के आधार पर उन्होंने स्थायी समिति के समक्ष एक प्रस्ताव दिया है। उन्होंने शहरी मामलों पर हुई स्थायी समिति की बैठक में तालाब के पानी के अंदर सर्वेक्षण करने और इस धरोहर को सामने लाने की वकालत की है। इसके बाद उन्होंने दिल्ली में संसद भवन में भी अपनी बात रखी है। संसद भवन में हुई बैठक में आलोक शर्मा ने कहा कि, तालाब के किनारों पर अभी भी नगर के अवशेष मौजूद है। उनके मुताबिक, किनारे पर दो बुर्ज और प्राचीन दीवारे नज़र आते है। जाहिर है यह उसी शहर की हो सकती है। इसलिए इस मामले पर वैज्ञानिकों का अध्ययन होना चाहिए, ताकि भोपाल की विरासत और उठकर सामने आए। आलोक शर्मा ने संसद में तर्क रखते हुआ कहा कि, भोपाल राजा और महाराजाओं की नगरी रही है। यहां पर 11वीं सदी की धरोहरों के अवशेष अभी भी मौजूद है। प्राचीन काल से लेकर अभी तक इस शहर का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रहा है। इसलिए इनका संरक्षण और सौंदर्यीकरण किया जाना चाहिए। कई सालो से बड़े तालाब में प्राचीन धरोहरों के अवशेष मौजूद होने के दावे किए जा रहे है। कई पुरातत्वविद बताते है कि, इसमें एक वैदिक समय का नगर बसा हुआ था। गोंड कालीन किले की दीवारों के साथ-साथ बुर्ज भी इसके किनारे पर दिखाई देते है। भोपाल में रहने वाले स्थानीय लोगों के साथ-साथ इतिहासकार भी हर थोड़े समय पर इसकी मांग उठाते आए है। इसलिए ऐसे में इसका वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराना बहुत आवश्यक है। ऐसी भी जानकारी सामने आई है कि, साल 2009-10 के समय भोपाल सर्कल के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने तालाब में डूबे हुए महल और किले के अवशेषों की जांच का प्रस्ताव तैयार कर लिया था। लेकिन विशेषज्ञों की उपलब्धता में कमी होने के कारण केंद्रीय स्तर पर इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिल पाई थी। वहीं आलोक शर्मा के इस प्रस्ताव में संसद का कोई जवाब नहीं आया है। हालाकिं आपकी जानकारी के लिए बता दे कि, यह बड़ा तालाब एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील के रूप में माना जाता है। इस तालाब का निर्माण 11वीं सदी के दौरान परमार वंश के राजा भोज ने कराया था। यह तालाब 31 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल तक फैला हुआ है। तालाब के बीच में एक टापू भी है जिसे तकिया टापू का नाम दिया गया था। इस टापू पर मुगल राजा शाह अली शाह रहमतुल्लाह का मकबरा भी बना हुआ है।