भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनाव प्रचार इन दिनों जोर—शोर से चल रहा है। एक महीने बाद राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? यह ईवीएम में कैद हो जाएगा, जिसका खुलासा 11 दिसंबर को होगा। इस समय मध्यप्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवार टिकट पाने की जद्दोजहद में जुटे हुए हैं। भले ही बीजेपी 15 सालों से राज्य की सत्ता पर काबिज है, लेकिन इन सबके बीच एक ऐसी सीट चर्चा में हैं, जहां पर पिछले 41 साल से बीजेपी जीत को तरस रही है। यह सीट है गुना जिले के अंतर्गत आने वाली राघौगढ़ विधानसभा सीट। 1977 से है कांग्रेस का कब्जा राघोगढ़ विधानसभा सीट पर 1977 से लगातार कांग्रेस प्रत्याशी जीत रहे हैं। सबसे पहले 1977 में दिग्विजय सिंह यहां से विधायक चुने गए थे। इसके बाद यह जीत कांग्रेस के खाते में ही रही। उनके भाई लक्ष्मण सिंह भी इस सीट से 1990 और 1993 के चुनावों में विधायक चुने गए और इस समय दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह यहां से विधायक हैं। क्या कहते हैं समीकरण इस सीट को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के परिवार का गढ़ माना जाता है। दरअसल, राघौगढ़ दिग्विजय सिंह का गृह क्षेत्र है। यहां पर कई सालों से उनके परिवार के सदस्य ही विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज करते आ रहे हैं। दिग्विजय सिंह राघौगढ़ के राजा साब कहे जाते हैं। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि यहां से जीत पाना बीजेपी के लिए मुश्किल साबित होगा। क्या कहते हैं पिछले चुनाव के आंकड़े 2008 में यहां से कांग्रेस ने मूलसिंह दादाभाई को टिकिट दिया था। मूलसिंह दादाभाई को चुनावों में 40019 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी प्रत्याशी भूपेंद्र सिंह रघुवंशी को 32331 वोट मिले थे। 2013 में राघौगढ़ सीट से कांग्रेस ने दिग्विजय के बेटे जयवर्धन सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया था। जयवर्धन सिंह ने बीजेपी प्रत्याशी राधेसिंह धाकड़ को 58,204 सीटों से शिकस्त दी थी। जयवर्धन सिंह को 98041 वोट मिले थे, जबकि राधेसिंह धाकड़ को 39837 वोट मिले थे। खबरें और भी विधानसभा चुनाव 2018 : जल्द ही तीन राज्यों में गठबंधन कर सकती है सपा और बसपा मध्‍य प्रदेश चुनाव 2018 : इस नेता के नाम हैं सबसे ज्यादा बार विधायक बनने का रिकॉर्ड चुनावी जंग : मनमोहन का भी टूटा 'मौन', पीएम मोदी पर साधे निशाने मिशन 2019: शाह और नीतिश में हुआ बड़ा करार, बराबर सीटों पर लड़ेंगे लोक सभा चुनाव