पटना: बुधवार को बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में 10 हजार से ज्यादा लोगों को नियुक्ति पत्र बांटने के लिए एक बड़ा आयोजन हुआ। जिसमें सीएम नीतीश कुमार एवं डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने 8246 सिपाहियों व 2213 सब-इंस्पेक्टरों को नियुक्ति पत्र वितरित किए गए। इसको लेकर भाजपा ने आरोप लगाया है कि आरम्भ कर दिया। जिसमें बताया गया है कि पहले से जिनकी नियुक्ति हो चुकी है, उन्हें नियुक्ति पत्र देकर सरकार जनता की आंखों में धूल झोंकना चाहती है। भाजपा ने इसे नियुक्ति घोटाला तक बता डाला। दूसरी तरफ, नियुक्ति पत्र लेने आए एक महिला सिपाही ने बताया कि 2019 में भर्तियां निकली थी। 2019-20 में परीक्षा की प्रक्रिया पूरी हुई तथा 2022 में नियुक्ति हो गई। वर्तमान में वो दरभंगा पोस्टेड है। यानी जिन पुलिसकर्मियों को आज नियुक्ति पत्र दिया गया, उनकी ज्वाइनिंग महीना 2 महीने पहले ही हो चुकी है। इतना ही नहीं, सभी ट्रेनिंग भी ले रहे हैं। आपको बता दें कि बिहार में क्षेत्रीय एवं जिला स्तर पर नियुक्ति पत्र देने की प्रथा रही है। दरोगा को इलाके के आईजी डीआईजी नियुक्ति पत्र प्रदान करते हैं जबकि सिपाहियों को ये नियुक्ति पत्र जिले के SP के द्वारा दिया जाता है। जिन व्यक्तियों को आज नियुक्ति पत्र प्राप्त हुआ है, उन्हें इसी प्रक्रिया के तहत पहले ही नियुक्ति पत्र दिया जा चुका है। किन्तु प्रदेश सरकार ने एक बार फिर नवनियुक्त पुलिसकर्मियों को पटना के गांधी मैदान में बुलाकर नियुक्ति पत्र दिए। इसे ड्रामा करार देते हुए भाजपा ने बिहार की जनता के पैसे का दुरुपयोग बताया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल कहा कि बिहार में शराब एवं नियुक्ति घोटाला एक साथ चल रहा है। दूसरी ओर राजद के शक्ति यादव ने कहा कि भाजपा नौकरी विरोधी है, वो दुष्प्रचार कर रही है। यदि अभी की बहाली NDA सरकार के वक़्त की है तो उस वक़्त नियुक्ति पत्र क्यों नही बांटा गया। राजद ने केंद्र सरकार के दुवारा कई विभागों की भर्ती में हो रही देरी पर प्रश्न उठाये। 2 दिन बंद रहेंगे बैंक, जरूर पढ़ ले ये खबर मालिक के लिए जहरीले सांप से भिड़ा कुत्ता, हुई दर्दनाक मौत 'लोग खिला सकेंगे आवारा कुत्तों को खाना', कोर्ट ने सुनाया फैसला