नई दिल्ली : राजग ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में बिहार के पूर्व राज्यपाल रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा कर एक तीर से कई निशाने साधे हैं. एनडीए के अलावा अन्य विपक्षी दलों द्वारा रामनाथ कोविंद का समर्थन करने का भरोसा बीजेपी नेतृत्व को दिए जाने से सम्भावना है कि देश के अगले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बन सकते हैं. उल्लेखनीय है कि रामनाथ कोविंद दलित समाज से आते हैं.ऐसा माना जा रहा है कि रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित करने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए अपनी चुनावी रणनीति की बिसात बिछाना शुरू कर दिया है. यहां यह स्पष्ट कर दें कि रामनाथ कोविंद मूलतः संघ या बीजेपी की पृष्ठभूमि से नहीं आते हैं. वे नब्बे के दशक की शुरुआत में बीजेपी में शामिल हुए थे.ऐसे में पार्टी से बरसों से जुड़े और समर्पित अन्य प्रभावशाली दलित नेताओं को दरकिनार कर कोविंद का नाम तय किया जाना किसी सोची समझी रणनीति का हिस्सा लगता है. ऐसे में पीएम मोदी निकट भविष्य में उपराष्ट्रपति के होने वाले चुनाव के लिए दक्षिण भारत या फिर मुस्लिम समाज से किसी उम्मीदवार की घोषणा ना कर दे, क्योंकि इन दोनों ही क्षेत्र में बीजेपी कमजोर है. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि आमतौर पर बीजेपी के नेता कहते हैं कि वो धर्म और जाति के आधार पर राजनीति नहीं करते हैं. लेकिन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को दलित बता कर पार्टी क्या संदेश देना चाहती है यह बड़ा सवाल है. लगता है कि समय के साथ बीजेपी की सोच में भी परिवर्तन आ गया है. कई मौकों पर लिए गए पार्टी के कई फैसलों से यह बात तो स्पष्ट है कि बीजेपी अब विचारधारा से नहीं चुनाव जिताने वाले विचार से चलने लगी है. इससे विचारधारा से जुड़े पार्टी सदस्य मन ही मन दुखी हैं. यह भी देखें रामनाथ कोविंद ने दिया राज्यपाल पद से इस्तीफा, शिवसेना का भी मिला समर्थन रामनाथ कोविंद को लेकर विपक्ष में पड़ सकती है दरार, नीतीश करेंगे समर्थन