नई दिल्ली: मौलाना अरशद मदनी, जो जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष हैं, ने हाल ही में वक्फ संशोधन बिल पर अपनी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि मुसलमानों के लिए देश को मुश्किल बनाने की कोशिशें हो रही हैं और देश को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की साजिश रची जा रही है। मदनी ने दावा किया कि दिल्ली की पुरानी मस्जिदों की जमीनें हड़पने की कोशिश की जा रही है, जो 400-500 साल पुरानी हैं। उन्होंने यह सवाल उठाया कि इतने पुराने दस्तावेज कौन पेश कर सकता है और आरोप लगाया कि कुछ लोग मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों पर कब्जा करना चाहते हैं। मदनी ने यह भी कहा कि मुस्लिम और हिंदू समुदायों में एक समान सांस्कृतिक इतिहास है, और उन्होंने भाईचारे की बात करते हुए चेतावनी दी कि सांप्रदायिकता देश के लिए हानिकारक है। उन्होंने कहा कि भाईचारे को बचाए रखना जरूरी है, नहीं तो नफरत की आग देश को बर्बाद कर सकती है। मौलाना ने आगे कहा कि इस्लाम को दबाने की कोशिशें सफल नहीं होंगी, क्योंकि इसे कभी समाप्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब पैगंबर मोहम्मद की शान में गुस्ताखी होती है, तो दोषियों को नजरबंद किया जाता है, लेकिन जो इसके खिलाफ आवाज उठाते हैं, उन्हें जेल में डाल दिया जाता है। बुलडोजर कार्रवाई पर भी उन्होंने आपत्ति जताई और कहा कि इसके जरिए ज्यादातर मुसलमानों के घरों को निशाना बनाया जा रहा है, जो संविधान के खिलाफ है। मदनी ने इंडिया गठबंधन की नीतियों का समर्थन करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने सभी धर्मों को अपनी आस्था के अनुसार जीवन जीने की आजादी देने का वादा किया है, जो सराहनीय है। उन्होंने गठबंधन को समर्थन देने की अपील की, यह कहते हुए कि यह भारत में धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करेगा। फिलिस्तीन के मुद्दे पर मौलाना मदनी ने भारत सरकार की नीति की आलोचना की। उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री ने फिलिस्तीन पर पहले हमले के बाद इसे आतंकवाद करार दिया, जिससे उन्हें दुख हुआ। उन्होंने भारत पर आरोप लगाया कि फिलिस्तीन में भारतीय बारूद और सैनिकों का इस्तेमाल हो रहा है। हालांकि, उन्होंने इस दावे का कोई ठोस सबूत नहीं दिया। मौलाना ने चेतावनी दी कि अगर सांप्रदायिक नीतियों को अपनाया गया, तो इससे देश को भारी नुकसान होगा। आपके बयान के अनुसार, मौलाना मदनी ने फिलिस्तीन के संघर्ष की तुलना भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से की, और हमास के जिहादी आतंकियों को गांधी-विद्यासागर जैसा बताया। बता दें कि, इजराइल और आतंकी संगठन हमास के युद्ध के बाद से ही भारत के मुस्लिम-मौलाना हमास के आतंकियों की तुलना गांधी-विद्यासागर से करके उन्हें स्वतंत्रता सेनानी साबित करने पर तुले हुए हैं। लेकिन इन मौलानाओं से ये पुछा जाना चाहिए कि गांधी-विद्यासागर ने किस महिला का रेप किया ? जबकि हमास के बलात्कारी जिहादियों के वीडियो तक उपलब्ध हैं, जिसमे वे स्त्रियों की नग्न लाशें घुमाते हुए अल्लाहु अकबर के नारे लगा रहे हैं। क्या इन मौलानाओं को ऐसे बलात्कारियों से गांधी-विद्यासागर की तुलना करते हुए शर्म नहीं आती ? मीडिया क्यों उनसे ये सवाल नहीं करता ? मध्यप्रदेश में ठंड ने दे दी दस्तक..! इन जिलों में लुढ़का पारा गंगा नदी में डूबी नाव, 7 मजदूर लापता, बचाव अभियान जारी 'बांग्लादेश के साथ भाजपा की सेटिंग..', हेमंत सोरेन ने क्यों लगाया ये आरोप?