भोजशाला में मिली काले पत्थर की भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति, तीन महीने से खुदाई जारी, कई प्राचीन अवशेष बरामद

धार: इंदौर हाईकोर्ट के आदेश के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) मध्य प्रदेश के धार जिले में ऐतिहासिक स्थल भोजशाला का तीन महीने से सर्वेक्षण कर रहा है। इस सर्वेक्षण के दौरान, जिसमें उन्नत तकनीक और मैनुअल श्रम का उपयोग करके 25 फीट गहराई तक मिट्टी को हटाना शामिल है, ASI ने प्राचीन अवशेष और मूर्तियां खोजी हैं। गौरतलब है कि सर्वेक्षण के 91वें दिन 20 जून 2024 को भगवान कृष्ण की लगभग डेढ़ फीट ऊंची काले पत्थर की मूर्ति के साथ दो अन्य पुरावशेष मिले थे। भोजशाला मुक्ति यज्ञ के अधिकारियों ने कहा है कि इन अवशेषों पर सनातन धर्म के प्रतीक हैं।

भोजशाला के उत्तरी भाग में खुदाई में भगवान कृष्ण की खड़ी मूर्ति मिली है। भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति काले पत्थर की बनी हुई है और ये लगभग डेढ़ फिट की है। मिली पुरावशेषों में से एक में सनातन धर्म के प्रतीक हैं, जबकि दूसरे में दोनों तरफ यक्षों को दर्शाया गया है। इससे पहले, ASI ने सूर्य के आठ चरणों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतीकों वाले पत्थर खोजे थे, जिनका माप 1×3.5 वर्ग फीट था। होली के बाद से ही लगातार मेहनत कर रही एएसआई की टीम ने खुदाई के दौरान लगातार मूर्तियां और शिलालेख खोजे हैं। इंदौर उच्च न्यायालय 4 जुलाई को निष्कर्षों की समीक्षा करने वाला है, जिसमें ASI अपनी खोजों के फोटोग्राफिक और वीडियोग्राफिक साक्ष्य तैयार कर रहा है।

भोजशाला के धार्मिक महत्व को लेकर लंबे समय से चले आ रहे विवाद के बाद यह सर्वेक्षण किया गया है। हिंदू समुदाय का दावा है कि यह उनकी देवी वाग्देवी (माता सरस्वती) का मंदिर है, जिसे राजा भोज ने 1000-1055 के बीच बनवाया था। उनका तर्क है कि मुस्लिम आक्रमणकारियों ने मंदिर को अपवित्र किया और मौलाना कमालुद्दीन की कब्र बनवाई, जिन पर हिंदुओं को जबरन इस्लाम में परिवर्तित करने का आरोप है। नतीजतन, अब इस स्थल का उपयोग मुस्लिम प्रार्थनाओं के लिए किया जाता है। हिंदू देवताओं की दृश्यमान छवियों, स्तंभों पर संस्कृत के श्लोकों और दीवारों पर भगवान विष्णु के कूर्म अवतार के बारे में श्लोकों वाली नक्काशी की ओर इशारा करके अपना दावा जताते हैं।

11 मार्च को कोर्ट के आदेश के बाद 22 मार्च को एएसआई का सर्वेक्षण शुरू हुआ था। मुस्लिम समुदाय ने 1 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सर्वेक्षण रोकने की मांग की थी। इसके बावजूद 29 अप्रैल को सर्वेक्षण की समयसीमा बढ़ा दी गई। अंतिम रिपोर्ट 4 जुलाई को देनी है, जिसे इंदौर हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा।

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