"रेप या बलात्कार" यह एक ऐसा शब्द है जो सुनने में चाहे आसान हो लेकिन अगर इसका दर्द समझने जाएंगे तो शायद आप खुद भी टूट जाएंगे. लेकिन आज हम इसके दर्द की बात नहीं कर रहे है. हम आज यहाँ बात कर रहे है रेप की वजह की. "जी हाँ, वजह". क्या यह कह सकते है कि दो स्तन, एक वेजाइना और एक पेनिस ये ही रेप होने के लिए जिम्मेदार है. अगर नहीं तो फिर क्या वजह है रेप होने की. और यदि हाँ तो जरुर स्तन रेप का कारण होते होंगे. लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है, क्योकि रेप तो उन मासूम बच्चियों के साथ भी होता है जिनके स्तन नहीं होते है. अच्छा इसका मतलब तो यही हुआ कि रेप का मुख्य कारण वजाइना होता होगा. जरूर आप और हम ऐसा मान सकते है, लेकिन रुकिए रेप की कई घटनाओं में ऐसे नाम भी शामिल है जो लड़के है. और अगर रेप लड़को के साथ होता है तो इसका तो एक ही मतलब है कि रेप का कारण तो वजाइना भी नहीं है. फिर आखिर रेप के पीछे कारण क्या बचा है. शायद रेप के पीछे कारण अब पेनिस ही बचा हुआ है. हम्म...यह हो सकता है. लेकिन ठहरिए अगर ऐसा है तो कई बार रेप ऐसे बच्चो के साथ क्यों हो जाता है जिनके पास भी पेनिस होता है. या अगर कारण पेनिस ही है तो फिर बलात्कार के बाद लड़कियों के शरीर में डंडा या सरिया या कुछ और क्यों डाल दिया जाता है. (कई बलात्कार की घटनाए है जो ये सब बताती है). यानि रेप के लिए दो स्तन, एक वजाइना और एक पेनिस तो जिम्मेदार नहीं है ऐसा मान सकते है, फिर आखिर ऐसा क्या है जो किसी को रेप के लिए उकसाता है. सुनने में थोड़ा बुरा जरूर लगेगा लेकिन रेप या बलात्कार के लिए अगर कोई चीज जिम्मेदार है तो वह है मानसिकता. यह वही मानसिकता है जो लड़की के सूट से बाहर आ रही ब्रा की स्ट्रेप को देखकर उसके स्तन का अंदाजा लगाती है, यह वही गन्दी मानसिकता है जो लड़की के शर्ट की बटनों के बीच अपनी गन्दी नजरे नजरे जमाए बैठती है. कही बैठे कपल को देखकर खुद की सोच को गंदी करती है. हर लड़की को गन्दी नजर से देखती है और सोचती है कि काश इसके साथ कुछ कर दू. यह ही है वह कारण जो रेप को बढ़ावा देती है. जी हाँ, लड़के, लड़कियों या मासूमो के साथ रेप होने का अगर कोई पुख्ता कारण है तो वह है मानसिकता है. स्तन, वजाइना या पेनिस तो हमारे शरीर की संरचना का एक हिस्सा है जिन्हे हमेशा से रेप का कारण बताया गया है. लेकिन सच तो यह है कि जब तक लोगो की यह गंदी मानसिकता नहीं बदलती शायद हम इसी जंजाल में उलझ कर रह जाएंगे. जब तक मनुष्य की मानसिकता में यह गंदगी है तब तक कैसे इस गंदगी को समाज से ख़त्म किया जा सकता है. सोचियेगा जरूर..!! (शब्दों के लिए क्षमा चाहता हूँ) हितेश सोनगरा हर रोज़ दूध पिलाकर बेटी बचाती रही अपने बेबस पिता की जान, कुछ ऐसी है यह दास्तान