देखा जाए तो आज बॉलीवुड के साथ ही साथ टेलीविजन पर भी अपनी अदाकारी का जलवा बिखरने वाले शाहिद कपूर के पिता अभिनेता पंकज कपूर जो की भारत के जानेमाने नाटककार तथा टीवी व फिल्म अभिनेता हैं. वे अनेकों टीवी धारावाहिकों तथा फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं. आज उनका जन्मदिन है बता दे कि पंकज कपूर को अपनी फिल्मों में निभाई गई आकर्षक भूमिकाओं के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया है. पंकज कपूर का जन्म 29 मई 1954 को लुधियाना, पंजाब में हुआ था. दूरदर्शन पर 80 के दशक में प्रसारित जासूसी धारावाहिक करमचंद में निभाई शीर्षक भूमिका शायद उनकी सबसे मशहूर भूमिकाओं में से हैं. उनकी अन्य सराहनीय फिल्मों में एक डॉक्टर की मौत (1991) तथा विशाल भारद्वाज निर्देशित "मक़बूल" (2003) शामिल हैं. आस्कर अवार्ड विजेता रिचर्ड अटेनबरो निर्देशित और 1982 में निर्मित फिल्म गाँधी में पंकज ने प्यारेलाल की संक्षिप्त भूमिका अदा की थी पर फिल्म के हिन्दी संस्करण में गाँधी का किरदार निभा रहे बेन किंग्सले की डबिंग करने का उन्हें अवसर मिला. श्याम बेनेगल के निर्देशन में बनी फ़िल्म 'आरोहन' में पंकज कपूर एक दयालु मास्टर थे जो फिल्म के मुख्य किरदार "हरी" यानि ओम पुरी को गांव के ज़मींदार के ख़िलफ़ केस लड़ने में मदद करता है. इस फ़िल्म को साल 1982 की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म और ओम पुरी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था. बासु चैटर्जी के निर्देशन में बनी यह फ़िल्म 'एक रुका हुआ फैसला' हॉलीवुड फ़िल्म "12 एंग्री मेन" (1957 ) का रीमेक थी. फिल्म में एक नाबालिग लड़का अपने पिता की हत्या कर देता है और पंकज कपूर भी जूरी के सदस्य होते हैं, जिनपर भारी दबाव होता है. कुंदन शाह की फिल्म 'जाने भी दो यारो' इस कालजयी फ़िल्म ने देश में मौजूद भ्रष्टाचार और देश की राजनीतिक व्यवस्था पर एक तगड़ा कटाक्ष किया था. इस फिल्म में कई कलाकारों का यादगार अभिनय रहा था और पंकज कपूर का बिल्डर तरनेजा का किरदार भी उन यादगार किरदारों में से एक था. इस टी.वी. सीरीज 'करमचंद' में पंकज कपूर एक जासूस के किरदार में नज़र आए. गाजर खाकर दिमाग तेज़ करने वाले इस जासूस और उसकी सेक्रेटरी किटी को लोग आज भी याद करते हैं. मेडिकल प्रोफ़ेशन में कैसे डॉक्टर धीरे धीरे व्यावसायी बनते जा रहे हैं इसी का ताना बाना बुनती फिल्म 'एक डाक्टर की मौत' में पंकज डॉक्टर रॉय का किरदार निभाते हैं और शबाना आज़मी उनकी पत्नी के रूप में नज़र आती हैं. दूरदर्शन पर आने वाली इस हिट टेलिविज़न सीरीज़ 'जुबान संभाल के' को एक अमेरिकी धारावाहिक से इंस्पायर माना जाता है. हिंदी सीखने आए विभिन्न प्रांतो और देशों के लोग और उनसे जूझते हिंदी अध्यापक मोहन भारती की कोशिशें आपको 'LOL' कर सकती हैं. ऑफ़िस करप्शन पर बने धारावाहिक 'ऑफ़िस-ऑफ़िस' में पंकज कपूर हर एपिसोड में मुसद्दीलाल नाम के आम आदमी के किरदार में नज़र आते थे और विभिन्न दफ़्तरों में कैसे एक आम आदमी अपने काम के लिए परेशान होता है, इसी प्लॉट पर ये सुपरहिट धारावाहिक आधारित है. विशाल भारद्वाज की फिल्म 'मकबूल' जो के क्राईम ड्रामा फिल्म है तथा इस फिल्म में अब्बाजी का किरदार निभाने वाले पंकज कपूर ने यादगार अभिनय किया है. शेक्सपियर के उपन्यास " मैकबेथ " पर आधारित इस फ़िल्म को बॉलीवुड क्लासिक माना जाता है. रस्किन बॉन्ड के उपन्यास "द ब्लू अम्ब्रेला" पर बनी विशाल भारद्वाज की इस फिल्म में पंकज कपूर ने मुख्य किरदार निभाया है. फिल्म बिनिया नाम के किरदार के इर्द- गिर्द घूमती है. जो हिमाचल के बनीखेत गांव में रहती है. पंकज कपूर नंदकिशोर खत्री का किरदार निभा रहे है. जो उस गांव में एकलौते दुकानदार है. फिल्म 'हल्ला बोल' में लोगों को स्ट्रीट प्ले के ज़रिए सामाजिक मुद्दों पर जागरुकता फैलाने वाले डकैत टर्न्ड सोशल वर्कर का किरदार पंकज ने निभाया है. फ़िल्म में अजय देवगन भी उनके साथ हैं. विशाल भारद्वाज की ये फ़िल्म 'मटरू की बिजली का मंडोला' एक फ़्लॉप फ़िल्म थी लेकिन पंकज के अभिनय की तारीफ़ हुई थी. एक रईस शराबी के किरदार को पंकज ने बखूबी निभाया था. डिज़्नी की इस मेगा बजट फ़िल्म 'शानदार' के साथ पंकज अपने बेटे शाहिद और बेटी सनाह कपूर के साथ पर्दे पर नज़र आए थे. हालांकि ये फ़िल्म सुपरफ़्लॉप साबित हुई थी. हैप्‍पी बर्थडे पंकज उधास : 'ऐ ग़मे जिंदगी कुछ तो दे मशवरा....' पद्मावती के सेट पर रणवीर के सिर पर लगी चोट में बॉलीवुड का छात्र हूँ, शाहिद कपूर...