हिंदी सिनेमा के जाने माने फिल्म निर्माता शेखर कपूर इन दिनों अपने बयान को लेकर सुर्खियों में हैं. उनक कहना हैं कि अब हिंदी के अलावा अन्य भाषाई फिल्मों के लिए क्षेत्रीय सिनेमा के टैग को हटाने का समय आ गया है. उन्होंने शनिवार को ट्वीट कर कहा, "राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2018 की अध्यक्षता करना उनके लिए बहुत जानकारीवर्धक रहा, क्षेत्रीय सिनेमा की गुणवत्ता ने हमें स्तब्ध कर दिया है, यह विश्वस्तरीय है और अब क्षेत्रीय सिनेमा का टैग दूर करने का समय आ गया है." शेखर कपूर को 'एलिजाबेथ : द गोल्डन ऐज', 'बैंडिट क्वीन', 'मिस्टर इंडिया', 'द फोर फीदर्स', 'मासूम', 'टूटे खिलौने', 'इश्क-इश्क' और 'बिंदिया चमकेगी' जैसी हिट फिल्मों के लिए जाना जाता है. यही नहीं बल्कि वे अपनी फ़िल्म 'एलिज़ाबेथ' के लिए आस्कर पुरस्कार के लिए भी मनोनीत हो चुके हैं. बॉलीवुड के दिग्गज फिल्ममेकर, एक्टर और प्रोड्यूसर शेखर कपूर का जन्म 6 दिसंबर 1945 को लाहौर में हुआ था. वह सदाबहार एक्टर देवानंद के भतीजे हैं. हिंदी सिनेमा में उनकी पहचान किसी बड़ी शख्सियत से कम नहीं है. वर्ष 2013 में अभिषेक कपूर न्यूज़ चैनल एबीपी पर शो प्रधान मंत्री भी होस्ट कर चुके हैं. अपनी फिल्म को लेकर शेखर का कहना है कि वह एक फिल्म निर्माता इसलिए बने क्योंकि वह हर रोज नई-नई कहानियों की कल्पना करने से खुद को रोक नहीं सकते. ये भी पढ़े कठुआ गैंगरेप पीड़िता की वकील ने कहा, मेरा रेप हो सकता है कठुआ गैंगरेप की सुनवाई आज से उन्नाव-कठुआ पर आप ने भी जाहिर की मौका परस्ती लाइम लाइट की चका-चौंद से दूर ये टीवी अभिनेता कर रहा है अब खेती बॉलीवुड और हॉलीवुड से जुडी चटपटी और मज़ेदार खबरे, फ़िल्मी स्टार की जिन्दगी से जुडी बातें, आपकी पसंदीदा सेलेब्रिटी की फ़ोटो, विडियो और खबरे पढ़े न्यूज़ ट्रैक पर