नई दिल्ली: आरिब मजीद कल यानी शुक्रवार को जेल से बाहर आ गया। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने पिछले दिनों उसकी जमानत कायम रखी थी। उस पर आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) में शामिल होने के लिए सीरिया जाने का इल्जाम है। कथित तौर पर वह 2014 में तीन अन्य लोगों के साथ IS में शामिल होने गया था। छह माह बाद लौट आया। देश लौटते ही आतंकरोधी दस्ते ने उसे अरेस्ट कर राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) के सुपुर्द कर दिया था। हाई कोर्ट ने कहा कि, “हमने देखा है कि प्रतिवादी एक शिक्षित व्यक्ति है। 21 वर्ष की उम्र में जब वह इराक के लिए रवाना हुआ था, तब वह सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई कर रहा था। उसने स्पष्ट रूप से कहा है कि 21 वर्ष की उम्र में वह भटक गया था और उसने गंभीर गलती की है, जिसके लिए वह पहले से ही छह साल से अधिक समय जेल में काट चुका है।” कोर्ट ने यह भी कहा कि, “पिछले छह वर्षों की कैद में प्रतिवादी ने एनआईए कोर्ट में खुद ही अपने केस पर बहस की है। उसने इस अदालत में और एनआईए कोर्ट में अपने मामले का प्रतिनिधित्व किया है और हम देख सकते हैं कि उसने अपना केस शिष्टाचार और उचित तरीके से पेश किया है।” जब कोर्ट ने उससे देश से बाहर जाने को लेकर सवाल किया तो उसने कहा, “मैं 21 साल का था, मैं दुखी होकर चला गया। वहाँ जाकर मैं लोगों की सहायता कर रहा था।” उसने यह भी दावा किया कि उस पर लगाए आतंकवाद के इल्जाम झूठे हैं। मुथूट ग्रुप के चेयरमैन एमजी जॉर्ज मुथूट ने दुनिया कहा अलविदा आईटी क्षेत्र ने कोरोना काल में भी किया शानदार काम विप्रो ने USD1.5 बिलियन सौदे में यूके फर्म CAPCO का किया अधिग्रहण