मुंबई: बॉम्बे उच्च न्यायालय ने जस्टिस माधव जामदार के सिंगल बेंच के आदेश को निरस्त कर दिया है. इसमें कहा गया था कि महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक, NCB के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े के खिलाफ बयान दे सकते हैं, क्योंकि वह एक अफसर हैं. जस्टिस जामदार ने हालांकि मलिक से सोशल मीडिया पोस्ट डालने या वानखेड़े के खिलाफ बोलने से पहले सभी चीजें पुष्ट करने के लिए कहा था. वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े (Dnyandev Wankhede) ने दीवाली के अवकाश के दौरान मलिक के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया था. जस्टिस जामदार ने वाद को विस्तार से सुना था और कहा था कि मलिक ने द्वेष और नाराजगी की वजह से गलत बयान दिए थे. मलिक को वानखेड़े के खिलाफ बोलने से पहले सत्यापन में उचित एहतियात रखना चाहिए थी. वानखेड़े ने तुरंत जस्टिस जामदार के आदेश के खिलाफ अपील दाखिल करते हुए कहा कि जब जज ने ये दो टिप्पणियां की थीं, तो कोर्ट ने उनके पक्ष में आदेश कैसे पारित नहीं किया. न्यायमूर्ति एसजे कथावाला और न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ ने महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक को जमकर लताड़ लगाई थी. यह फटकार नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के अधिकारी समीर वानखेड़े के खिलाफ सार्वजनिक बयानबाजी करने को लेकर थी. इसके बाद मलिक को कहना पड़ा था कि वे 9 दिसंबर तक वानखेड़े के खिलाफ कोई भी बयान नहीं देंगे. बॉम्बे उच्च न्यायालय के जज कथावाला ने कहा कि नवाब मलिक कैसी पब्लिसिटी चाहते हैं. एक मंत्री पद पर होते हुए क्या उन्हें ऐसे काम शोभा देते हैं. खंडपीठ ने कहा कि एकल बेंच के जज 28 मार्च तक इस मामले की सुनवाई करेंगे और तब तक मलिक, वानखेड़े के विरुद्ध कोई भी सार्वजनिक बयान नहीं देंगे. सकल घरेलू उत्पाद में सरकारी स्वास्थ्य परिव्यय हिस्सेदारी 1.15 से बढ़कर 1.35 प्रतिशत हो गई सोनू सूद के बाद SS राजामौली ने शिवा शंकर के देहांत पर जताया दुःख कर्नाटक ने अंतराष्ट्रीय यात्रियों के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए