कोलकाता: आज सुबह, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद अर्जुन सिंह के पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले स्थित घर पर बम फेंके गए और कई राउंड फायरिंग भी की गई। यह घटना उनके निवास ‘मजदूर भवन’ के बाहर हुई, जहां कड़ी सुरक्षा के बावजूद हमला किया गया। अर्जुन सिंह ने दावा किया कि इस हमले के दौरान फायरिंग भी की गई और उनके पैर में छर्रे लगे हैं। उनके अनुसार, एक केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के जवान को भी चोट आई है। सिंह ने बताया कि जब उन्होंने धमाके की आवाज सुनी, तो वे अपने घर से बाहर निकले और तभी उन्हें एक छर्रा लग गया। सिंह ने इस घटना के बारे में जानकारी देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि जब लोग नवरात्रि की पूजा में व्यस्त थे, तब नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) के मामलों में आरोपी और स्थानीय तृणमूल कांग्रेस (AITC) के पार्षद के बेटे, नमित सिंह के संरक्षण में कई जिहादियों और गुंडों ने उनके कार्यालय-सह-निवास ‘मजदूर भवन’ पर हमला किया। उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय पुलिस इस स्थिति में मूकदर्शक बनी रही, जबकि गुंडे खुलेआम हथियार लहरा रहे थे। सिंह ने कहा कि उन गुंडों ने करीब 15 बम फेंके और एक दर्जन से अधिक गोलियां चलाईं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बंगाल पुलिस तृणमूल कांग्रेस की कठपुतली बन गई है, जिसे वह बेहद शर्मनाक मानते हैं। यह पहली बार नहीं है जब अर्जुन सिंह के घर पर इस तरह का हमला हुआ है। इससे पहले, 2021 में भी उनके घर पर इसी प्रकार के तीन देसी बम फेंके गए थे। इस बार की घटना ने राज्य में सुरक्षा स्थिति पर गंभीर सवाल उठाए हैं और भाजपा सांसद की सुरक्षा को लेकर चिंताओं को बढ़ा दिया है। बंगाल में राजनीतिक संघर्ष और हिंसा की घटनाएं आम हो गई हैं, विशेष रूप से जब से भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच तीखी प्रतिस्पर्धा शुरू हुई है। अर्जुन सिंह की इस घटना पर प्रतिक्रिया दर्शाती है कि राज्य में राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है और इससे जुड़ी हिंसा पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। अर्जुन सिंह का यह हमला न केवल उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए चिंताजनक है, बल्कि यह राज्य की कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भी सवाल उठाता है। भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने इस हमले की कड़ी निंदा की है और राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि वह राजनीतिक दलों के बीच बढ़ती हिंसा को नियंत्रित करने में असफल हो रही है। राज्य के राजनीतिक माहौल में बढ़ती हिंसा और असुरक्षा की घटनाएं जनता के बीच भय और चिंता का कारण बन रही हैं। इस प्रकार के हमलों ने न केवल राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को बढ़ाया है, बल्कि आम लोगों की सुरक्षा को भी खतरे में डाल दिया है। इस घटना के बाद, यह स्पष्ट है कि बंगाल में राजनीतिक दलों के बीच संघर्ष को समाप्त करने और एक सुरक्षित वातावरण स्थापित करने की आवश्यकता है, ताकि आम नागरिकों को इस प्रकार की हिंसा का सामना न करना पड़े। तिरुपति लड्डू विवाद में भी विरोधी वकील कपिल सिब्बल, जानिए क्या बोली सुप्रीम कोर्ट ? धुआं-धुआं हो गया लेबनान! इजराइली हमले में हिज्बुल्ला के 37 आतंकी ढेर, 150+ जख्मी ईसाई बनने पर सरकार ने रद्द किया परिवार का SC प्रमाणपत्र, अब नहीं मिलेगा आरक्षण