हमारे बच्चे हमारा ही प्रतिबिम्ब होते हैं. जो हमें कहते करते और हुए देखते हैं वे खुद भी वहीं करते हैं. इसलिए, बच्चों के सामने सही उदाहरण में पेश करें. उनके सामने किताबें पढ़ें. जो बच्चे अपने माता पिता को पढ़ते देखते हैं वो उसी से प्रेरणा लेते हैं और किताबों की तरफ अपनी रूचि दिखाते हैं.हर बच्चा वैसे तो अलग होता है और हर बच्चे की पसंद भी अलग होती है. लेकिन कुछ किताबी कीड़े होते हैं तो कुछ खेल कूद में ज्यादा मगन रहना चाहते हैं. लेकिन किताबें पढ़ने की आदत ऐसी है जो बच्चे में स्थिरता और एकाग्रता लाती है. इसलिए हर बच्चे को किताबें पढ़ने की आदत शुरू से ही डालनी चाहिए. लेकिन याद रहे यह किसी भी दबाव से नहीं प्यार से. कुछ टिप्स का इस्तेमाल हमें अवश्य करना चाहिए. 1. हमेशा रंगीन चित्रों वाली किताब चुनें बच्चे, ख़ास तौर से छोटे बच्चे, पढ़ना नहीं जानते. वो चित्र देख कर ही कहानी का अंदाज़ा लगते हैं. इसलिए रंग बिरंगी चित्रों वाली किताबें उन्हें बहुत आकर्षित करती हैं. मिसाल के तौर पर- द हंगरी कैटरपिलर, ब्राउन बेयर ब्राउन बेयर, गुड नाईट गोरिल्ला, ये कुछ अंग्रेजी किताबें हैं जिनसे शुरुआत की जा सकती है. 2. किताबों को पढ़ने का समय निर्धारित करें यूँ तो किताबें दिन के किसी भी समय और कितनी भी बार पढ़ी जा सकती हैं, पर एक समय तय कर लें. जैसे रात में सोने के समय. उसके अलावा भी अगर वक़्त हो तो ज़रूर पढाएं, पर रात में निर्धारित समय पर किताब ज़रूर पढ़ें. इससे आदत पड़ती है. हर रोज़ बच्चे खुद सोने के वक़्त आपके पास किताबें ले आएंगे. एक साथ बिस्तर में बच्चों को गोद में बैठा कर किताबें पढ़ने का मज़ा ही अलग है. 3. किताबों को पढ़ते हुए सवाल जवाब ज़रूर करें कहानी पढ़ते हुए या चित्र दिखाते हुए बच्चों से प्रश्न ज़रूर करें. इससे उनका रुझान बना रहेगा और जिज्ञासा भी बढ़ेगी. सम्मिलित तरह से किताबों को पढ़ने से बच्चों को मज़ा भी आता है. अगर हम खुद ही बोलते रहे तो बच्चों का ध्यान जल्दी ही भटक जाता है. 4. अनेक तरह की आवाज़ें बनाकर कहानियां सुनाए कहानी पढ़ने और सुनाने को रोचक बनाने के लिए अगर थोड़ा ड्रामा करना पड़े या अलग अलग आवाज़ें निकालनी पड़ें तो पीछे न हटें. ऐसा करने से बच्चे कहानी सुनने में और मज़े लेंगे और ध्यान लगाकर सुनेंगे. 5. कहानियों को अपनी निजी ज़िन्दगी से जोड़ें यदि कहानी में कोई दादी है तो बच्चे को अपनी दादी याद दिलाएं. यदि कोई ऐसा जानवर चित्र में दिखे जिसे बच्चे ने पहले देखा है, तो उसे याद दिलाएं. ऐसा कनेक्शन बनाने से बच्चे कहानियों में पूरी तरह सराबोर हो जाते हैं. वो महज़ कहानियां नहीं रह जाती बल्कि असल ज़िन्दगी का हिस्सा बन जाती हैं. वो उन्हें याद भी रखते हैं और समय आने पर उन कहानियों से मिली सीख का पालन भी करते हैं. 6. कहानी का अर्थ समझाएं और बच्चों से उसके बारे में पूछें हर कहानी के अंत में बच्चों से ज़रूर पूछें की इस कहानी तुमने क्या सीखा. इससे वो अपने मन में कहानी को एक बार फिर दोहराते हैं, सोचते हैं, समझने की कोशिश करते हैं और कुछ न कुछ ज़रूर सीखते हैं. उनका जवाब शायद आपकी समझ से मेल न खाता हो, पर फिर भी उन्हें शाबाशी दें और एक बार फिर अपने तरह से समझाए. यह भी पढ़ें... दो देशों के बीच बना है ये खूबसूरत वॉटरफॉल, जाने से नहीं रोक पाएंगे जब सड़क पर सोने आ गए लोग, ऐसा रहा नज़ारा