नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं मे से एक लाल कृष्ण आडवाणी पर लिखी एक किताब का आज दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में विमोचन किया गया है। तीन दशकों तक उनके सहयोगी रहे विश्वंभर श्रीवास्तव ने ये किताब लिखी है, जिसका टाइटल आडवाणी के साथ 32 साल रखा गया है। इस विमोचन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी पहुंचे थे। हांला कि आडवाणी के सेक्रेटरी दीपक चोपड़ा के मुताबिक आडवाणी ने कभी भी इस किताब के लिए मंजूरी नहीं दी अर्थात् यह किताब उनकी इच्छा के विरुद्ध प्रकाशित की गई है। अब खबर है कि किताब के लेखक भी इस बयान से हतप्रभ है। श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होने इस किताब की पांडुलिपि आडवाणी को भेजी थी। अपने सत्यापन में उन्होने एक तस्वीर दिखाई, जिसमें वो आडवाणी के साथ नजर आ रहे है। लेखक का कहना है कि आडवाणी ने कभी भी इस किताब पर आपत्ति व्यक्त नहीं की। इस किताब में आडवाणी से जुड़ी अहम घटनाओं का जिक्र किया गया है। इसमें आडवाणी की रथ यात्रा से लेकर 1992 में हुए बाबरी विध्वंश तक का जिक्र है। इस किताब में हाल में हुए लोकसभा चुनाव में पीएम कैंडिडेट के तौर पर नरेंद्र मोदी के चुने जाने का भी जिक्र है। इसके अलावा, आडवाणी के मोरारजी देसाई के मंत्रिमंडल में जगह मिलने, बीजेपी नेता द्वारा सुरक्षा ठुकराने से जुड़ी घटनाओं का भी जिक्र है।