नई दिल्ली: पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश से सटी भारत की बॉर्डर के पास मुस्लिम आबादी बेहद तेजी से बढ़ रही है। इसे लेकर खुफिया एजेंसियां और सीमा सुरक्षा बल (BSF) की तरफ से चिंता प्रकट की गई है। ग्राम पंचायतों के ताजा आंकड़ों की स्टडी के बाद उत्तर प्रदेश और असम की पुलिस ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी-अपनी रिपोर्ट भी भेज दी हैं। इनमें 10 साल में इस इलाके में हुए जनसांख्यिकीय परिवर्तन को बताया गया है। साथ ही खुफिया एजेंसियों की तरफ से संबंध में BSF का अधिकार क्षेत्र 100 किमी तक बढ़ाने की सिफारिश की गई है। देश के सीमावर्ती इलाकों में बढ़ रही मुस्लिम आबादी की वजह से इन इलाकों में घुसपैठ का खतरा बढ़ने की भी आशंका जताई गई है। रिपोर्ट के अनुसार, सीमावर्ती इलाकों में मुस्लिमों की आबादी में 2011 के बाद से अब तक 32 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। जबकि देश में जनसंख्या परिवर्तन का आंकड़ा इस दौरान 15 फीसदी तक रहा है। खुफिया व सुरक्षा एजेंसियों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में आबादी में इस वृद्धि को बेहद चिंताजनक करार दिया है। ऐसे में उनकी तरफ से कहा गया है कि BSF के अधिकार क्षेत्र का दायरा 50 किमी से बढ़ाकर 100 किमी कर दिया जाए। ताकि BSF बॉर्डर से 100 किमी के दायरे तक सर्च ऑपरेशन चला सके। बता दें कि इससे पहले 2021 में BSF का अधिकार क्षेत्र 15 किमी से बढ़ाकार 50 किमी किया गया था। जिसे लेकर पंजाब, बंगाल जैसे गैर-भाजपा शासित राज्यों ने आपत्ति जताई थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब से सटी पाकिस्तान की बॉर्डर के पास के इलाकों में मुस्लिम आबादी 35 फीसदी तक बढ़ चुकी है, जिसपर BSF ने चिंता जताई है। वहीं, नेपाल बॉर्डर से लगते यूपी के जिलों में मुस्लिमों की बढ़ती तादाद एक बार फिर चिंता का सबब बन गई है। एकदम से जनसंख्या में आए भारी उछाल के पीछे पुलिस अनुमान जता रही है कि शायद मुस्लिमों को बाहर से लाकर यहां बसाया जा रहा है। यह PFI के 2047 तक भारत को इस्लामी देश बनाने की साजिश का हिस्सा हो सकता है, जिसके तहत सरहदी इलाकों में मुस्लिमों की आबादी बढ़ाई जाकर घुसपैठ को तेज किया जा रहा है। आँकड़े बताते हैं कि यूपी के 5 जिलों के 116 गाँवों में 50 फीसद मुस्लिम बढ़ गए हैं। वहीं 4 साल में 25 फीसद मस्जिद-मदरसों में वृद्धि देखी गई है। यूपी के साथ ही असम के धुवरी, करीमगंज, दक्षिण सलमारा और काछर जैसे इलाकों में मुस्लिमों की तादाद 32 फीसद बढ़ चुकी है, जबकि 2011 की जनगणना के राष्ट्रीय औसत अनुमान के हिसाब से ये 12.5% और राज्य स्तरीय अनुमान के अनुसार 13.5% होना चाहिए थी। अब, इस जनसांख्यिकीय परिवर्तन को लेकर एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं। आतंक का 'मदरसा' जमींदोज़.., जिहादी मंसूबों पर चला असम सरकार का बुलडोज़र यंग इंडियन का दफ्तर सील होते ही कांग्रेस में मची खलबली, AICC पर लगा नेताओं का जमावड़ा 'अग्निपथ' पर चलने के लिए महिलाओं में भी जूनून, नौसेना में आए 82 हज़ार आवेदन