गोयांग: एक लम्बे अंतराल 65 साल के बाद उत्तर कोरिया के किसी शासक ने दक्षिण कोरिया का दौरा किया और किम जोंग-उन ऐसा करने वाले पहले शासक बने. शिखर बैठक के बाद विभाजित प्रायद्वीप में स्थायी शांति और पूर्ण निरस्त्रीकरण की दिशा में आगे बढ़ने कि ओर कदम बढ़ाये है. देशों को विभाजित करने वाली सैन्य विभाजक रेखा पर प्रतीकात्मक रूप से हाथ मिलाने के साथ दोनों नेताओं ने पूर्ण निरस्त्रीकरण , परमाणु मुक्त कोरियाई प्रायद्वीप के साझा लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में एक घोषणा - पत्र भी जारी किया. दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करते वक्त दोनों नेताओं ने एक दूसरे को बाहों में भर लियानिया भर की मीडिया के सामने दोनों नेताओं ने शिखर वार्ता के समापन पर मुस्कुराहट के साथ अपनी दोस्ती का प्रदर्शन किया. उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग -उन और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेई - इन ने इस बात पर भी सहमति जताई कि वे कोरियाई युद्ध के स्थायी समाधान की दिशा में इस साल प्रयास करेंगे और इसके सैन्य हल के बजाए शांतिपूर्ण संधि से इसे खत्म करने की दिशा में पहल की जाएगी. दोनों नेताओं ने कहा कि जल्द ही मून प्योंगयोंग का दौरा करेंगे. दोनों नेताओं ने नियमित बैठकों और सीधे फोन वार्ता करने पर भी सहमति जताई. इस तथाकथित पनमुंजोम घोषणा ने इस दिन को ऐतिहासिक बना दिया क्योंकि महज कुछ महीनों पहले तक इस पर कोई सोच भी नहीं सकता था जब उत्तर कोरिया लगातार मिसाइलों का परीक्षण कर रहा था और उसने अपना छठा परमाणु परीक्षण किया था. किम ने दक्षिण कोरिया की जमीन पर कदम रखते हुए कहा , वह बहुत भावुक हो रहे हैं. शिखर सम्मेलन के लिए पनमुंजम के युद्धविराम संधि के अधीन आने वाले गांव के दक्षिणी किनारे पर स्थित 'पीस हाउस बिल्डिंग' में दाखिल होने से पहले किम के आमंत्रण पर दोनों नेता एक साथ उत्तर कोरिया में दाखिल हुए. किम ने बैठक की शुरुआत होने के बाद मून से कहा , 'मैं यहां एक नए इतिहास का प्रारंभिक संदेश देने के दृढ़ संकल्प के साथ आया हूं.' किम ने पार की दुश्मन देश की सीमा, रात को डिनर के बाद करेंगे ये काम किम के मिसाइल टेस्ट रोकने की असली वजह यह है किम जोंग पर नहीं है ट्रम्प को भरोसा !