रामेश्वरम कैफ़े ब्लास्ट के दोनों मुख्य आरोपी धराए, कर्नाटक में धमाका कर बंगाल में छुप गए थे आतंकी हुसैन और अब्दुल

बैंगलोर: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने आज शुक्रवार को पश्चिम बंगाल में कोलकाता के पास 1 मार्च बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे विस्फोट मामले के सिलसिले में "मास्टरमाइंड" सहित दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। NIA ने एक बयान में कहा, आरोपियों की पहचान कैफे में IED रखने वाले आरोपी मुसाविर हुसैन शाजिब और विस्फोट की योजना बनाने और उसे अंजाम देने के पीछे के मास्टरमाइंड अब्दुल मथीन ताहा के रूप में की गई है। ये दोनों कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक में ब्लास्ट करने के बाद पश्चिम बंगाल भाग गए थे। दोनों आरोपी कर्नाटक के शिवमोग्गा के रहने वाले हैं और इनके तार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) से भी जुड़े बताए जा रहे हैं। दोनों पहले भी कर्नाटक में हुई एक आतंकी घटना में शामिल रहे हैं और NIA से वांटेड हैं, लेकिन कर्नाटक पुलिस इनका पता लगाने में नाकाम रही थी और इसके बाद इन आतंकियों ने दूसरी घटना को अंजाम दे दिया।  

 

NIA ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि, “12.04.2024 की सुबह, NIA कोलकाता के पास फरार आरोपियों का पता लगाने में सफल रही, जहां आरोपी झूठी पहचान के साथ छिपे हुए थे। NIA के इस प्रयास को एनआईए, केंद्रीय खुफिया एजेंसियों और पश्चिम बंगाल, तेलंगाना (तेलंगाना), कर्नाटक और केरल पुलिस की राज्य पुलिस एजेंसियों के बीच ऊर्जावान समन्वित कार्रवाई और सहयोग द्वारा सफलतापूर्वक पूरा किया गया।'' बयान में कहा गया है, "मुसाविर हुसैन शाजिब वह आरोपी है जिसने कैफे में IED रखा था और अब्दुल मथीन ताहा विस्फोट की योजना बनाने, उसे अंजाम देने और उसके बाद कानून के चंगुल से बचने का मास्टरमाइंड है।"

उल्लेखनीय है कि, NIA ने पहले बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे में विस्फोट के संबंध में हमलावर के बारे में जानकारी देने वाले को 10 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी। एजेंसी ने इस बात पर भी जोर दिया कि सूचना देने वालों की पहचान की गोपनीयता बनाए रखी जाएगी। एजेंसी ने हमलावर की एक तस्वीर भी जारी की थी, जो बेंगलुरु के ब्रुकफील्ड क्षेत्र में एक लोकप्रिय भोजनालय, द रामेश्वरम कैफे में एक बैग रखते हुए सीसीटीवी कैमरे के फुटेज से ली गई थी।

NIA की ओर से जारी तस्वीर में हमलावर टोपी, काली पैंट और काले जूते पहने नजर आ रहा है। पोस्ट में, NIA ने इस बात पर भी जोर दिया कि "उसकी (हमलावर) गिरफ्तारी के लिए कोई भी जानकारी देने पर उसे पुरस्कृत किया जाएगा"। गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा मामले की जांच आतंकवाद विरोधी एजेंसी को सौंपने के तीन दिन बाद NIA ने इनाम की घोषणा की थी। विस्फोट स्थल पर NIA टीम के दौरे के बाद 3 मार्च को मामला NIA को सौंप दिया गया था। यह विस्फोट 1 मार्च को बेंगलुरु के व्हाइटफील्ड इलाके में कैफे में हुआ था, जहां व्यस्त दोपहर के भोजन के दौरान हुए विस्फोट के बाद कई लोग घायल हो गए थे।

 

इससे पहले, बेंगलुरु पुलिस ने कैफे में विस्फोट के संबंध में कड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था। यह विस्फोट 1 मार्च को दोपहर 1 बजे हुआ था और बैंगलोर पुलिस को सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में कैफे के अंदर एक बैग रखते हुए एक संदिग्ध भी मिला था। अब तक की पुलिस जांच से संकेत मिला है कि विस्फोट को अंजाम देने के लिए टाइमर के साथ एक आईईडी डिवाइस का इस्तेमाल किया गया था।

 

हालाँकि, गौर करने वाली बात ये भी है कि, जब ब्लास्ट हुआ था, तब कर्नाटक कांग्रेस के कुछ नेता इसे सिलेंडर ब्लास्ट बता रहे थे, लेकिन जब NIA ने जांच की, तो पता चला कि ये IED विस्फोट था और एक आतंकी हमला था। इसके बाद इस मामले में अब्दुल और हुसैन का नाम सामने आया, तो नेताओं की बयानबाज़ी बंद हो गई। जांच के सिलसिले में जब NIA ने एक भाजपा कार्यकर्ता साईं प्रसाद से पूछताछ की, तो पूरा इकोसिस्टम उसे ही आतंकी बताने लगा। हालाँकि, NIA ने बताया कि, साईं प्रसाद आरोपी नहीं है, बल्कि वो एक मोबाइल विक्रेता है, इस संबंध में उससे पूछताछ की गई थी। हालाँकि, अब जब मुख्य आरोपी गिरफ्तार हो गए हैं, जो ISIS के आतंकी भी हैं और जिनपर पहले से केस दर्ज होने के बावजूद उन्हें कर्नाटक पुलिस पकड़ नहीं पाई, इस पर किसी राजनेता का बयान नहीं आ रहा है।  

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