ओलिंपिक से गायब हो सकते हैं मुक्केबाज़ी के मुक़ाबले, ये है वजह

नई दिल्ली: ओलिंपिक एक ऐसा प्लेटफार्म है, जहाँ हर एक खिलाड़ी अपने देश का प्रतिनिधित्व करने के सपने देखता है, साथ ही इसे दुनिया भर में सबसे ज्यादा देखा जाने वाले टूर्नामेंट भी माना जाता है. लेकिन हो सकता है कि आने वाले ओलिंपिक खेलों में आपको मुक्केबाज़ी का मुक़ाबला देखने को न मिले. अंतर्राष्ट्रीय ओलिंपिक समिति (आईओसी) ने अंतरराष्‍ट्रीय मुक्‍केबाजी संघ को इस संबध में चेतावनी दी है.

सिर्फ पदार्पण मैच शतक ही नहीं, ये रिकॉर्ड भी हैं पृथ्वी शॉ के नाम

आईओसी ने अंतरराष्‍ट्रीय मुक्‍केबाजी संघ (एआईबीए) को चेताते हुए कहा है कि अगर संघ अपने प्रशासन सम्बन्धी मसलों को सुलझाता नहीं है तो उसे आगामी ओलिंपिक से बाहर किया जा सकता है. बोर्ड ने कहा है कि उन्होंने अपनी चिंताओं से एआईबीए को अवगत करा दिया है, क्योंकि अगर एआईबीए के आपसी संकट से सिर्फ उसका ही नहीं बल्कि खेल का भी नुक्सान होता है. आगामी ओलिंपिक गेम्स 2020 में टोक्यो में आयोजित होने वाले हैं.

भारत बनाम वेस्टइंडीज: अपने पदार्पण मैच में ही पृथ्वी शॉ ने बनाए दो बड़े रिकॉर्ड

आपको बता दें कि अगर मुक्केबाज़ी को ओलिंपिक से बाहर किया जाता है तो भारत पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा. हालांकि अब तक भारत ने ओलिंपिक में कोई ख़ास प्रदर्शन नहीं किया है, अब तक सिर्फ विजेन्‍दर सिंह और एमसी मैरीकॉम दो ही मुक्केबाज़ देश के लिए मैडल जीत पाए हैं. 2008 के बीजिंग ओलिंपिक में विजेंदर सिंह ने और 2012 के लंदन ओलिंपिक में मैरीकॉम ने भारत के लिए कांस्य पदक जीते थे. इसके बाद से भारत ओलिंपिक में कोई मैडल हासिल नहीं कर पाया है और उसे 2022 के ओलिंपिक से काफी उम्मीदें हैं, ऐसे में मुक्केबाज़ी का ओलिंपिक से बाहर होने भारत के लिए निराशाजनक हो सकता है.

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