बीपीसीएल के निजीकरण के लिए सरकार ने निर्धारित की समयसीमा

भारत की दूसरी सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) की बिक्री की प्रक्रिया आगामी वर्ष मार्च तक पूरी होने की संभावना है। सरकार ने बीपीसीएल के निजीकरण के लिए समय सीमा निर्धारित करते हुए कंपनी की परिसंपत्तियों के मूल्यांकन की रिपोर्ट 50 दिन के भीतर देने को कहा है। जानकारी के लिए बता दें कि कंपनी की परिसंपत्तियों का मूल्यांकन 'परिसंपत्ति मूल्यांकनकर्ता' द्वारा किया जाएगा। जब ये प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, तब सरकार कंपनी की हिस्सेदारी खरीदने के लिए बोलियां आमंत्रित करेगी।

फिलहाल में केंद्रीय कैबिनेट ने आर्थिक सुस्ती से निजात पाने और राजस्व बढ़ाने के लिए सरकारी कंपनियों में अब तक के सबसे बड़े विनिवेश को मंजूरी दे दी थी। सरकार ने पांच ब्लू चिप कंपनियों, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और ऑनलैंड कार्गो मूवर कॉनकोर आदि में अपनी हिस्सेदारी कम करने का फैसला लिया है। 

कैबिनेट ने शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में सरकार की 63.75 फीसदी हिस्सेदारी को बेचने का निर्णय लिया है। रेलवे की कंपनी कॉनकोर को भी बेचा जाएगा। इसमें सरकार की हिस्सेदारी 54.8 है। चुनिंदा कंपनियों में सरकारी हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम होगी| सरकार इसके अतिरिक्त चुनिंदा सार्वजनिक उपक्रमों जैसे इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन में अपनी हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम करेगी। फिलहाल इन पर प्रबंधकीय नियंत्रण सरकार का ही रहेगा। इंडियन ऑयल में सरकार की मौजूदा हिस्सेदारी 51.5 फीसदी है। इसके साथ 25.9 फीसदी हिस्सेदारी भारतीय जीवन बीमा निगम, ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) के पास है। सरकार ने 26.4 फीसदी हिस्सेदारी 33000 करोड़ रुपये में बेचने का फैसला किया है।

विनिवेश प्रक्रिया दो चरणों में पूरी हो सकती है- पहले चरण में संभावित खरीदारों से रुचि पत्र आमंत्रित किए जाएंगे। वहीं दूसरे चरण में उनसे उनकी बोलियां जमा करने के लिए कहा जाएगा।

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