सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा प्रभु परशुराम की 108 फीट ऊंची प्रतिमा लगाने के घोषणा के पश्चात उत्तरप्रदेश की राजनीति में 2022 के चुनाव से पहले मुद्दों को लेकर परिस्थिति साफ होती जा रही है. उत्तरप्रदेश में ब्राह्मण मतों की अहमियत सभी विपक्षी दलों को भी पता चलने लगी है. रक्षा उत्पादों के इम्पोर्ट पर बैन, चिदंबरम बोले- रक्षामंत्री का ऐलान सिर्फ एक शब्दजाल यही कारण है कि सपा पार्टी के इस घोषणा के पश्चात रविवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने मीडिया वार्ता कर ब्राह्मण कार्ड खेल दिया. मायावती ने बताया कि अगर 2022 में उत्तरप्रदेश में बसपा की गवर्नमेंट बनती है, तो ब्राह्मण समाज की आस्था के प्रतीक परशुराम और सभी जातियों के महान संतों के नाम पर चिकित्सालय व सुविधायुक्त ठहरने के स्थानों का निर्माण कराया जाएगा. इतना ही नहीं उन्होंने यह भी बताया कि समाजवादी पार्टी की गवर्नमेंट में ब्राह्मणों के लिए क्या किया गया. Realme Narzo 10 की सेल है जारी, जानें आकर्षक ऑफर्स बता दे कि मायावती ने बताया कि चार बार बनीं बसपा की गवर्नमेंट में सभी वर्गों के महान संतों के नाम पर अनेक जनहित योजनाएं प्रारंभ की गई थीं. जिसे पश्चात में आई सपा गवर्नमेंट ने जातिवादी मानसिकता व द्वेष की भावना के चलते बदल दिया. मायावती ने कहा कि समाजवादी पार्टी से भव्य परशुराम की मूर्ति उनकी सरकार लग्वाएगी. उन्होंने ये भी कहा कि कोरोना के खिलाफ केंद्र व राज्य की सरकारें पूरी तरह से कामयाब नहीं रही हैं. उनके कोशिश में कमी रही है. दरअसल कानपुर में 8 पुलिस कर्मियों की कत्ल के पश्चात पुलिस एनकाउंटर में मारे गए मुख्य आरोपी विकास दुबे और उनके गुर्गों की एनकाउंटर में मृत्यु हो गई थी. जिसके पश्चात से ही उत्तरप्रदेश में सभी विपक्षी दल गवर्नमेंट पर आरोप लगा रहे हैं कि योगी गवर्नमेंट ब्राह्मण विरोधी है. भारत में कोरोना से 196 डॉक्टरों की मौत, IMA ने पीएम मोदी से मांगी मदद सुशांत केस: संजय राउत का आरोप, कहा- उद्धव सरकार के खिलाफ साजिश रच रही बिहार सरकार अब इंसान नहीं बल्कि रोबोट करेंगे सीवर की सफाई, इस शहर से शुरू हुई पहल