शियामिन : यह भारत की सफल कूटनीति का ही नतीजा हैं कि चीन में हो रहे ब्रिक्स देशों के नौवें शिखर सम्मेलन में आतंक के खिलाफ अब तक पाक का समर्थन करने वाला चीन भी झुकने को मजबूर हुआ और पहली बार पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा के अलावा आईएस, अलकायदा, तालिबान व अन्य पर चिंता व्यक्त कर शियामिन घोषणा-पत्र में चीन समेत पांचों सदस्य देशों ने आतंकवाद की एक स्वर से निंदा की और मिलकर इसका मुकाबला करने का संकल्प लिया गया. देखा जाए तो इस ब्रिक्स सम्मेलन की सबसे बड़ी उपलब्धि यही रही कि आतंकवाद के मुद्दे पर सभी पाँचों देशों का एकजुट हो गए , जिसमे चीन भी शामिल हैं. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, भारत के पीएम नरेंद्र मोदी, ब्राजील के राष्ट्रपति माइकल टेमर और द. अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा ने भी आतंकवाद निंदा की. बता दें कि भारतीय अधिकारियों के अनुसार पीएम मोदी ने आतंकवाद का मुद्दा पुरजोर तरीके से उठाया, जिसका वहां मौजूद अन्य देशों ने भी समर्थन किया और मिलकर संघर्ष करने की इच्छा व्यक्त की. बता दें कि शियामिन घोषणा पत्र का सार यह हैं कि आतंकवाद दुनिया के किसी भी कोने में हो वह निंदनीय हैं. आतंकी संगठनों की हिंसा से ब्रिक्स देशों ने चिंता व्यक्त कर इन हमलों का समर्थन करने वाले जिम्मेदार देशों की जवाबदेही तय करने पर भी बल दिया गया. इसके अलावा आंतरिक मामलों में दखल नहीं देने और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के लिए अंतराष्ट्रीय कानून के अनुसार सहयोग ब़़ढाने की जरूरत के साथ उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण की भी निंदा की गई. अब लाख टके का सवाल यह हैं कि इस बदले रुख के बाद चीन भारत के दुश्मन मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र से अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने का समर्थन करेगा ? आगामी नवंबर में संयुक्त राष्ट्र में इस विषय पर फिर चर्चा होना हैं. यह भी देखें ब्रिक्स सम्मेलन की धरती पर जिनपिंग के बोल, मसले का हल हो शांति जम्मू कश्मीर मुठभेड़ में मारे गए दो आतंकी