क्या जूनियरों का हक मारकर विनेश-बजरंग ने चला सियासी दांव? कांग्रेस पर उठते गंभीर सवाल

चंडीगढ़: भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह ने रेसलर विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया के कांग्रेस में शामिल होने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि इसने राजनीति के लिए बेटियों के सम्मान पर चोट की है। बृजभूषण ने खुद पर लगे आरोपों पर सफाई देते हुए कहा कि जिन दिनों की बात की जा रही है, उस समय वे दिल्ली में मौजूद नहीं थे। उन्होंने दावा किया कि खिलाड़ियों का विरोध प्रदर्शन कांग्रेस द्वारा रचा गया षड्यंत्र था, और विनेश और बजरंग ने महिला सम्मान की आड़ में राजनीति का खेल खेला।

 

बृजभूषण ने हरियाणा के लोगों से कहा कि ये आंदोलन महिलाओं के सम्मान के लिए नहीं, बल्कि राजनीति के लिए था। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या बजरंग बिना ट्रायल के एशियाई खेलों में नहीं गए थे और क्या विनेश ने जूनियर खिलाड़ियों का हक मारकर अपनी जगह पक्की नहीं की थी? उन्होंने कुश्ती विशेषज्ञों से भी पुछा कि क्या कोई खिलाड़ी एक दिन में 2 भार श्रेणियों में ट्रायल दे सकता है? जैसा विनेश फोगाट ने किया, क्या इससे दूसरे खिलाड़ियों का हक नहीं मारा गया, जो आंदोलन की जगह प्रैक्टिस कर रहे थे। बृजभूषण ने कहा कि विनेश यहाँ से कुश्ती जीतकर ओलिंपिक में नहीं गई थी, बल्कि जूनियर का हक़ मारकर और चीटिंग करके गई थी। उन्होंने कहा कि, मैंने किसी बेटी का अपमान नहीं किया, अगर कोई बेटियों का अपमान करने का दोषी है, तो वह बजरंग और विनेश हैं, और जिसने इसकी पटकथा लिखी, भूपेंद्र हुड्डा इसके लिए करसुरवार हैं।   

उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने कुश्ती गतिविधियों को 2.5 साल तक रोककर हरियाणा की खेल प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया। बृजभूषण ने अपने बयान में ये भी कहा कि उन्होंने कभी बेटियों का अपमान नहीं किया, बल्कि विनेश और बजरंग ने ही राजनीति के लिए महिलाओं का इस्तेमाल किया और उनका अपमान किया।

 

यहां सवाल उठता है कि क्या सच में कांग्रेस ने खिलाड़ियों के नाम पर राजनीति की? अगर हरियाणा चुनाव के लिए विनेश और बजरंग को कांग्रेस में लाना ही उद्देश्य था, तो इसके लिए इतना बड़ा आंदोलन और देशभर की भावनाओं से खेलने की जरूरत क्यों थी? क्यों उन खिलाड़ियों को मोहरा बनाया गया, जिन्हें देश अपना हीरो मानता है? बृजभूषण शरण सिंह ने खुद कहा था कि वह पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट करवाने को तैयार हैं, तो यह टेस्ट क्यों नहीं करवाया गया? क्या राजनीति में इसी तरह किसी को मोहरा बनाकर सियासी लाभ उठाया जाता है?

अगर ऐसा है, तो कांग्रेस की अन्य महिलाएं जिन्होंने पार्टी में उत्पीड़न के आरोप लगाए, जैसे युथ कांग्रेस की पूर्व उपाध्यक्ष अंगाकित्ता दत्ता, पूर्व प्रवक्ता राधिका खेड़ा और सिमी रोजबेल, उन्हें भी कांग्रेस के खिलाफ धरने पर बैठ जाना चाहिए। अंगाकित्ता ने युथ कांग्रेस अध्यक्ष बी वी श्रीनिवास पर उत्पीड़न के आरोप लगाए थे, लेकिन उनकी शिकायत राहुल गांधी और प्रियंका गांधी तक पहुँचने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा उन्हें ही पार्टी में दरकिनार कर दिया गया। राधिका खेड़ा ने भी कांग्रेस के बड़े नेताओं पर बदसलूकी का आरोप लगाया, लेकिन उन्हें भी न्याय नहीं मिला और बाहर कर दिया गया। सिमी रोजबेल ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में यौन शोषण के मुद्दे पर कांग्रेस में कास्टिंग काउच होने का दावा किया, लेकिन इसके बाद उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया।

प्रियंका चतुर्वेदी का मामला भी इसी कड़ी में आता है, जब मथुरा में कांग्रेस नेताओं ने उनके साथ छेड़छाड़ की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार उन्हें पार्टी छोड़कर शिवसेना (उद्धव गुट) में जाना पड़ा। इन घटनाओं से यह सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस सच में महिला सुरक्षा के लिए खड़ी हुई थी या यह सब केवल हरियाणा चुनाव के लिए बनाई गई एक सोची-समझी चाल थी? क्योंकि, किसान आंदोलन थोड़ा सुस्त हुआ था, तो कोई न कोई नया बखेड़ा खड़ा करना ही था। इससे पहले CAA के नाम पर मुस्लिमों को, अग्निवीर के नाम पर युवाओं को भड़काकर सड़क पर उतारा जा चुका है, और इसका खामियाज़ा देश ने भुगता है। आगे और भी कुछ देखने को मिल सकता है, अभी वक्फ बिल पर चर्चा चल रही है, हो सकता है कि उस पर फिर मुस्लिमों को भड़का दिया जाए। आखिर, भारत को बांग्लादेश बनाने की धमकी तो विपक्षी नेता दे ही रहे हैं, क्योंकि, लोकतान्त्रिक तरीके से तो वे तीसरी बार हार चुके हैं और अब उनका झुकाव भीड़तंत्र की तरफ बढ़ता दिख रहा है। किसान आंदोलन के समय भी योगेंद्र यादव कह चुके थे कि हमने तो यूपी चुनाव में विपक्ष के लिए पिच तैयार कर दी थी, विपक्ष ही उस पर बैटिंग नहीं कर पाया , तो देश ध्यान रखे कि ऐसी और भी पिचें तैयार हो सकती हैं, और इसमें विदेशी ताकतें भी शामिल हैं।     

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