दुनिया में ऐसे कई संत होते हैं जो कठिन तपस्या करते हैं और उसके बाद उनका हाल ऐसा हो जाता है कि हम देखकर ही डर जाए. ऐसे ही आज हम आपको बौद्ध भिक्षुओ के बारे में बताने जा रहे है जिन्होंने कठिन तापसी की है. ये 6 साल की कठोर तपस्या करते है जिसे sokushinbutsu कहा जाता है. सुनने में जितना आसान लगता है उतना आसान कुछ भी नहीं होता. बल्कि बहुत ही मुश्किल काम ये सब. आपको बता दें, इस तपस्या को पूरा करने में 6 साल लगते है. यह तपस्या उत्तरी जापान के कई हिस्सो में देखने को मिलती है. इस साधना को प्राप्त करने के लिए ये लोग 1000 दिनों तक खाना पानी सब त्याग देते है. केवल बीज, फल और बादाम को खाकर ज़िंदा रहते है. इसके साथ ही रोजाना व्यायाम करते है. इसके बाद यह एक जहरीली चाय भी पीते है जिसे पीकर इन्हें काफी उल्टियां भी होती है क्रोंकी उल्टी होने पर इनके शरीर का सारा तरल पदार्थ बाहर निकल जाता है. इस चाय की यह खूबी है की यह मरने के बाद भी शरीर से कीटाणुओ को बरसो तक दूर रखती है. आपको बता दें, जब अपनी इच्छा से बौद्ध भिक्षु अपने प्राणों को त्याग देते है, तब उन्हें एक पत्थर के तुम्ब के नीचे कैद कर लिया जाता है, जिसमे निचे से एक पाइप लगाया जाता है जिससे ऑक्सीजन अंदर जाती है, और फिर तब तक ध्यान योग किया जाता है जब तक उनके प्राण न निकल जाए. इस तुम्ब के निचे एक घण्टी भी लगाई जाती है जिसका कारण यह होता है कि जब तक यह घण्टी बजेगी तब तक बौद्ध भिक्षु जिन्दा है. जिस दिन यह बजना बंद हो गयी उस दिन इस तुम्ब को सील कर दिया जाता है, और उसे 1000 साल बाद खोलकर देखा जाता है, कि क्या बौद्ध अपनी तपस्या में सफल हो पाया है या नहीं. इस पूरी प्रक्रिया को तभी सफल माना जाता है जब वह तुम्ब खोलने पर भिक्षु अपनी उसी मुद्रा में रहे जिसमे उसे अंदर डाला गया था. अगर इअसा होता है तो उसे पास के मंदिर में स्थापित कर उसकी पूजा अर्चना की जाती है और जो सफल नहीं होता उन्हें उसी मकबरे में फिर से बंद कर दिया जाता है. रोजाना अपनी जिन्दा बेटी के लिए कब्र खोदता है ये पिता, वजह आपको रुला देगी इस खूबसूरत मॉडल की है दो रंग की आंखें, देखकर आपको भी हो जाएगा प्यार पिता की लाश के साथ 6 महीने तक रहा बेटा, दुर्गन्ध आने पर कर डाला हैरान करने वाला काम