कोलकाता: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (17 नवंबर) को बंगाल में कोयला चोरी मामले की जांच के सिलसिले में ममता बनर्जी सरकार के कानून मंत्री मलय घटक को प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा जारी समन को रद्द करने से इनकार कर दिया और कहा उन्हें जारी किए गए समन या ED द्वारा दर्ज ECIR को रद्द करने का कोई आधार नहीं है। न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा, ममता बनर्जी के कानून मंत्री घटक की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें ECIR और ED द्वारा जारी उक्त समन को रद्द करने की मांग की गई थी, और ED को जाँच एजेंसी के नई दिल्ली कार्यालय में उपस्थित होने के लिए कोई और समन जारी करने से परहेज करने का निर्देश जारी करने की मांग की गई थी। उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य के कानून मंत्री मलय घटक 12 में से 11 मौकों पर ED के सामने पेश नहीं हुए हैं और कहा कि घटक ने तर्क दिया था कि उन्हें बार-बार समन भेजा जा रहा है और ED को भविष्य में समन भेजने से रोका जाना चाहिए और “यह आश्चर्यजनक है” याचिकाकर्ता खुद बारह में से ग्यारह मौकों पर वह जानकारी देने के लिए प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश नहीं हुआ था और अब वो ECIR रद्द करने की मांग कर रहा है। कोर्ट ने कहा कि, ऐसी परिस्थितियों में, जब वह खुद एक बार छोड़कर प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश नहीं हुए हैं, तो इस स्तर पर इस अदालत द्वारा ऐसी राहत पर विचार भी नहीं किया जा सकता है। उच्च न्यायालय ने कहा कि ED कम से कम 24 घंटे का नोटिस देकर अपने कोलकाता कार्यालय में घटक की उपस्थिति की आवश्यकता के लिए स्वतंत्र होगी और कोलकाता पुलिस आयुक्त और पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को भी नोटिस जारी किया जाएगा, ताकि पर्याप्त पुलिस सुरक्षा मिल सके। हाई कोर्ट ने कहा कि, ''याचिकाकर्ता पश्चिम बंगाल राज्य का कानून मंत्री होने के नाते, जहां वह पूछताछ करना चाहता है, यह भी सुनिश्चित करेगा कि कोलकाता में उसकी जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों को कोई नुकसान न हो, क्योंकि यह राहत कॉल उसके (याचिकाकर्ता के) अनुरोध पर दी जा रही है।'' बता दें कि, ममता बनर्जी के मंत्री मलय घटक ने अपनी याचिका में कहा था कि ED ने उन्हें वर्तमान ECIR के संबंध में अपने नई दिल्ली कार्यालय में पूछताछ के लिए उपस्थित होने का निर्देश देते हुए बार-बार बुलाया है, हालांकि वह कोलकाता में रहते हैं और ED का कोलकाता में एक जोनल कार्यालय है। उन्होंने आगे कहा कि इस अपराध में आरोपी नहीं होने के बावजूद, उन्हें यह बताए बिना बार-बार बुलाया जा रहा है कि उन्हें आरोपी के रूप में जांच में शामिल होने के लिए बुलाया जा रहा है या गवाह के रूप में। बता दें कि, नवंबर 2020 में, कोलकाता में CBI के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने कई व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आरोपियों पर ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड के पट्टे वाले क्षेत्र से अवैध रूप से कोयले की खुदाई और चोरी करके साजिश रचने और सार्वजनिक विश्वास का उल्लंघन करने का आरोप है। इसमें ECL, CISF, भारतीय रेलवे और अन्य विभागों के अधिकारियों का सहयोग शामिल था। इसके बाद, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इन आरोपों के आधार पर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक मामला शुरू किया था। बिना अनुमति के ब्रिज का उद्घाटन क्यों किया ? आदित्य ठाकरे के खिलाफ FIR दर्ज 'महज दो घंटों में पहुंचेंगे जयपुर से दिल्ली..', राजस्थान में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया प्लान 'रेलवे स्टेशन बनाने के लिए पेड़ काटने की अनुमति नहीं..', RVNL को कोलकाता हाई कोर्ट ने दिया झटका