भोपाल: मध्य प्रदेश से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जिसने प्रदेश के प्रतियोगी परीक्षा दे रहे युवाओं के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है। जिसके कारण बेरोजगार युवा सड़क पर उतर आए हैं। आइये आपको बताते हैं क्या हैं पूरा मामला... क्या है पूरा मामला? दरअसल, मध्य प्रदेश की एक सरकारी भर्ती परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन (सामान्यीकरण) प्रक्रिया अपनाई गई थी, जिसके कारण एक उम्मीदवार को 100 में से 101.66 अंक मिल गए। इस विचित्र परिणाम ने युवाओं के बीच असमंजस और गुस्से का माहौल उत्पन्न कर दिया है। इसे लेकर इंदौर में बेरोजगार युवाओं ने व्यापक प्रदर्शन किया तथा परीक्षा में फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की। क्या है 'नॉर्मलाइजेशन' की प्रक्रिया? मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल द्वारा आयोजित इस परीक्षा में परिणाम की घोषणा के चलते बताया गया कि इस भर्ती परीक्षा में 'नॉर्मलाइजेशन' की प्रक्रिया अपनाई गई थी। इसके तहत उम्मीदवारों को 100 के अधिक अंक या शून्य से कम अंक मिल सकते थे। यह प्रक्रिया तब अपनाई जाती है जब परीक्षा में अलग-अलग पैटर्न या कठिनाई स्तर होते हैं, जिससे सभी उम्मीदवारों को समान अवसर मिल सके। हालांकि, इस प्रक्रिया को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, खासकर तब जब एक उम्मीदवार को 100 अंक के पेपर में 101.66 अंक मिल गए तथा वह परीक्षा में टॉप पर रहा। इस परिणाम ने युवाओं को हैरान कर दिया, और उन्होंने इसे परीक्षा में गड़बड़ी के रूप में देखा। प्रदर्शनकारियों के मुताबिक, यह पहला मौका है जब मध्य प्रदेश की परीक्षा के इतिहास में 100 अंकों में से किसी उम्मीदवार को 101.66 अंक मिलें। इस असामान्य परिणाम को लेकर प्रश्न उठने लगे हैं। प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले गोपाल प्रजापत ने बताया कि यह घटना न सिर्फ अजीब है, बल्कि इसने मध्य प्रदेश के परीक्षा सिस्टम पर भी संदेह उत्पन्न किया है। ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि टॉप दो उम्मीदवारों का संबंध एक ही जिले, सतना, से है, जो कि एक बड़ा सवाल उठाता है। इसे भी प्रदर्शनकारियों ने संदेहजनक करार दिया तथा इसे परीक्षा में धांधली का संकेत माना। निष्पक्ष जांच की मांग प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि इस भर्ती परीक्षा में संभावित फर्जीवाड़े की निष्पक्ष जांच की जाए। उनका कहना था कि जब तक इस मामले की गंभीरता से जांच नहीं की जाती तथा दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक प्रदेश के बेरोजगार युवा बड़े पैमाने पर आंदोलन करने के लिए मजबूर हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, ग्वालियर और भोपाल के कुछ परीक्षा केंद्रों से भी टॉप करने वाले उम्मीदवारों के परिणाम को लेकर आवाज उठाई गई है। प्रदर्शनकारी युवाओं ने यह भी कहा कि इन केंद्रों में परीक्षा की प्रक्रिया पर सवाल उठाए जा रहे हैं और उनकी जांच की जानी चाहिए। प्रदर्शनकारियों ने सीएम मोहन यादव से अपील की है कि इस मामले की निष्पक्ष और गहन जांच की जाए। उन्होंने राज्य सरकार से यह भी मांग की है कि संदिग्ध परीक्षा केंद्रों की जांच की जाए तथा अगर आवश्यक हो तो कानूनी कार्रवाई की जाए। प्रदर्शनकारी यह चेतावनी भी दे रहे हैं कि अगर इस मामले में दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती, तो बेरोजगार युवाओं को बड़े आंदोलन के लिए मजबूर किया जाएगा। देश का सबसे अमीर IAS अधिकारी, लेकिन सैलरी महज '1 रुपये' उदित नारायण पर पहली पत्नी ने लगाया चौंकाने वाला आरोप, कोर्ट ने क्यों लगाया 10 रुपये का दंड? मंदिर-मस्जिद के बीच हो रहे निर्माण पर चला मोहन सरकार का बुलडोजर