ना सैंपल ना टेस्ट, अब बस खांसने की आवाज़ से होगी कोरोना की जाँच

नई दिल्ली: कोरोना वायरस को समझने, इसका पता लगाने और इससे बचने के लिए विश्वभर के शोधकर्ता कई प्रकार के उपकरण बना रहे हैं और संक्रमण से बचने के सैकड़ों तरीकों का विश्लेषण कर रहे हैं. पिट्सबर्ग में कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर रीता सिंह ने एक ऐसा टूल तैयार किया है जो व्यक्ति की खांसी की आवाज, उसके बोलने के तरीके, यहां तक कि सांस लेने की आवाज से कोरोना संक्रमण का पता लगा सकता है.

वर्तमान में, शोधकर्ता मरीजों की आवाज और उनके खांसने की आवाज को रिकॉर्ड कर रहे हैं और फिर AI एल्गोरिदम के माध्यम से इन रिकॉर्डिंग से ये पता लगया जाता है कि व्यक्ति को कोरोना संक्रमण है या नहीं है. कोरोना वॉयस डिटेक्टर के बारे में प्रोफेसर सिंह कहती हैं कि यह शख्स की आवाज की उन सूक्ष्म से सूक्ष्म हरकत को ट्रेस करता है जो आम श्रोता को सुनाई नहीं देते, किन्तु फिर भी मौजूद होते हैं.

फेफड़ों या श्वसन तंत्र को प्रभावित करने वाली कोई भी स्थिति - जैसा कि कोरोना संक्रमण के मामलों में पता लगा है - उसका आवाज पर असर पड़ता है. यह टूल मूल रूप से एक सेल्फ लर्निंग सिस्टम है जो केवल सामान्य खांसी ही नहीं, बल्कि आवाज में मौजूद कोरोना संक्रमण को समझने का प्रयास कर रहा है.

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