आखिर वही हुआ जिसका अंदेशा जताया जा रहा था.पनामा पेपर लीक से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ दोषी करार देकर उनके राजनीतिक वनवास पर मुहर लगा दी. हालाँकि इस घटना से पाकिस्तान में लोकतंत्र की साख और मजबूती भी प्रभावित हुई,क्योंकि पाकिस्तान की यह विडंबना रही है कि 70 साल के बाद भी लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है. चूँकि कश्मीर और भारत से जुड़े मसलों पर वहां की सेना ही नीतियों का निर्धारण करती है. ऐसी दशा में भारत की चिंता बढ़ जाएगी. पाकिस्तान में नवाज की रवानगी के बाद भी सेना का हस्तक्षेप कायम रहेगा. उल्लेखनीय है कि पनामा पेपर से जुड़े दस्तावेजों में नवाज शरीफ के नाम के उजागर होने के बाद से ही उन पर पद छोड़ने का राजनीतिक दबाव तो बढ़ ही रहा था. राजनीतिक तौर पर भी वह कमजोर भी हो चले थे.प्रधानमंत्री के पद से हटने के बाद नवाज शरीफ अपने उत्तराधिकारी के रूप में भले ही अपने किसी विश्वस्त या भाई शाहबाज को पीएम की कुर्सी पर बैठा दे लेकिन हालातों में ज्यादा अंतर नहीं आएगा.उत्तराधिकारी के लिए भी देश में राजनीतिक असर कायम रखना कठिन हो जाएगा. इसमें कोई शक नहीं कि शरीफ के सत्ता से हटने के बाद सेना का राजनीतिक दखल पहले से और ज्यादा बढ़ जाएगा . यह तो पता ही है कि 2008 में सैनिक शासक परवेज मुशर्रफ के सत्ता से हटने के बाद पाकिस्तान में लोकतंत्र की पुनर्स्थापना भले ही हो गई लेकिन विदेश नीति का निर्धारण वहां की सेना ही करती रही है. खास तौर से कश्मीर और भारत से जुड़े मसलों पर तो सेना ही नीतियों का निर्धारण करती है. ऐसे में शरीफ के उत्तरधिकारी को भी राजनीतिक मामलों में भी सेना का हस्तक्षेप बर्दाश्त करना होगा. भारत की सुरक्षा के लिए यह स्थिति पहले की तुलना में और ज्यादा चिंताजनक है. हालाँकि अगले साल पाकिस्तान में चुनाव होने वाले हैं. तब तक वहां की राजनीतिक स्थिति क्या करवट लेंगी यह तो भविष्य बताएगा ,लेकिन सेना के प्रभुत्व वाले लोकतांत्रिक पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार के खिलाफ निष्पक्ष और कठोर जो फैसला सुनाया है, वह तारीफे काबिल है. यह भी देखें पाकिस्तान की महिला ने किया सुषमा स्वराज को ऐसा ट्विट, पढ़कर छलक पड़ेंगे आंसू भ्रष्टाचारी निकले नवाज, पनामा में दोषी साबित हुए, SC ने छीनी PM की कुर्सी