अक्सर देखा गया है कि आम जीवन की भाग दूध में बढ़ते कॉम्पटीशन और तेजी से बदलती लाइफ स्टाइल के कारण लोग खानपान के मामले में लापरवाही कर बैठते हैं। इसके परिणामस्वरूप उन्हें हाइपर एसिडिटी की शिकायत रहती है। यह एक ऐसी आम समस्या है जो हर किसी को कभी न कभी परेशान करती है। आमाशय में सामान्य रूप से एसिड होता है, जिसकी शरीर को हमेशा जरूरत रहती है। इसके दो कार्य होते हैं। पहला यह खाना पचाने में मदद करता है। दूसरा यह कि भोजन और पानी के माध्यम से शरीर में जाने वाले कीटाणुओं की सफाई करता है। यह एसिड अपने स्वभाव के विपरीत ऊपर की ओर आहार नली में जाने लगता है, तब एसिडिटी की शिकायत होती है। कुछ लोगों के पेट में एसिड के प्रति संवेदनशीलता अधिक होती है। इससे लोगों को पेट में जलन, भारीपन एवं पेट के ऊपरी मध्य हिस्से में दर्द महसूस होता है। उनमें एसिड की मात्रा सामान्य होती है। इसके को दुष्प्रभाव हो सकते है जैसे कि पेट में जलन होती है, खट्टी डकार आती है, पेट फूला-फूला सा महसूस होता है। टॉयलेट के दौरान बदबू आती है। छाती में जलन होती है। जुबान में रूखापन का अहसास रहता है। खाना खाने के तुरंत बाद सोने न जाएं, खासकर रात को। एक बार में ही अधिक भोजन करने की मानसिकता को बदलें। इससे बेहतर है कि एक बार की अपेक्षा थोड़ी मात्रा में निर्धारित समय अंतराल में भोजन करें। नीबू, संतरा, मौसम्मी और पिपरमेंट का अधिक मात्रा में सेवन से बचें। कभी भी खाली पेट जूस न पिएं। कोल्ड ड्रिंक व चॉकलेट से दूर रहें। चाय और कॉफी को दिन में एक बार से ज्यादा न लें। चिकने और तेलयुक्त और मिर्च मसाले से भरपूर भोजन से परहेज रखने की कोशिश करें। एसिडिटी के रोगियों को अपनी डाइट में दूध, छाछ, नारियल पानी और गुनगुना पानी शामिल करना चाहिए। घर में बना ताजा भोजन ही करें। साबुत अनाज जैसे जौ, गेहूं, चने का प्रयोग करें। दालों में मूंग और मसूर का प्रयोग करें। इसके अलावा एसिडिटी में एक्सरसाइज या योगा करें। इस बात का ध्यान रखें की योगासन हमेशा किसी प्रशिक्षित ट्रेनर के निर्देशन में ही करें। करी पत्ता का हेयर मास्क आपके बालो में डालेगा नयी जान व्रत के दौरान करे कट्टु के आटे का सेवन, मिलेगी कई फायदे ओमेगा 3 देगा आपको हेअल्थी हार्ट, जाने इसके अन्य लाभ