कोच्ची: सुरक्षा में बड़ी चूक के मामले में कोझिकोड रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने पूवदान गेट पर रेलवे सिग्नल केबल चोरी करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया है। असम के रहने वाले संदिग्ध मुनव्वर अली (37) और अब्बास अली (47) को सिग्नल केबल काटने के जुर्म में पकड़ लिया गया, जिससे रेलवे सिग्नलिंग सिस्टम में बड़ी बाधा उत्पन्न हुई। बता दें कि, हाल ही में बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन के नजदीक एक ट्रेन हादसा हुआ था, जिसमे कई लोगों की जान चली गई थी। यहाँ एक मालगाड़ी, कंचनजंगा एक्सप्रेस में जा घुसी थी, ये हादसा भी सिग्नल में गड़बड़ी के चलते हुए था। ठीक इसी तरह की सिग्नल गड़बड़ी केरल में भी होने जा रही थी, लेकिन RPF ने समय रहते दोनों आरोपियों को जल्द ही लिया, वरना बड़ा हादसा हो सकता था। RPF ने दोनों आरोपियों के पास से 12 मीटर लंबी सिग्नल केबल और उसे काटने के लिए इस्तेमाल की गई हैकसॉ ब्लेड जब्त कर ली है। आरोपियों ने वडकारा के परवनथला के पास एक पुराना घर किराए पर लिया था, जहां वे कबाड़ का कारोबार करते थे। मुनव्वर अली को पूवदन गेट पर केबल काटते हुए पकड़ा गया, जिससे शुक्रवार की सुबह वडकारा और माहे के बीच सिग्नलिंग सिस्टम बाधित हो गया, जिससे करीब दस ट्रेनें देरी से चल रही थीं। गड़बड़ी के कारण, ये ट्रेनें आपस में टकरा भी सकती थीं और हादसा हो सकता था। लेकिन, RPF अधिकारियों द्वारा मौके पर निरीक्षण के तुरंत बाद संदिग्धों को हिरासत में ले लिया गया। सिग्नलिंग केबल और उसे काटने के लिए इस्तेमाल किया गया ब्लेड पास की एक कबाड़ की दुकान से बरामद किया गया, जिसे दो लोग चलाते थे। अधिकारियों द्वारा उनके कब्जे में तार के टुकड़े पाए जाने के बाद उन्होंने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, इस घटना से दस ट्रेनों की सेवा पर बुरा असर पड़ा है। वडकारा और माहे के बीच सिग्नलिंग सिस्टम पूरी तरह से बाधित हो गया, जिससे यात्रियों को काफी देरी और असुविधा का सामना करना पड़ा। हालाँकि, पुलिस के सामने आरोपियों ने कहा है कि, उन्हें सिग्नलिंग सिस्टम में केबल के महत्व के बारे में पता नहीं था, उन्होंने बस कबाड़ में बेचने के लिए इसे चुराया था। भले ही आरोपी जानकारी ना होने का दावा कर रहे हों, लेकिन यदि इस वजह से कोई हादसा हो जाता तो, उसका कसूरवार कौन होता ? संभावना ये भी है कि, ये किसी आतंकी साजिश का हिस्सा हो, और मकसद ट्रेन दुर्घटना करवाना ही हो। क्योंकि, इससे पहले ऐसा हो चुका है। साल 2021 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में किरंदुल-विशाखापट्टनम एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी, ये घटना नक्सलियों द्वारा रेल पटरी की फिश प्लेट (दो पटरियों को जोड़ने वाली प्लेट) निकलाने के कारण हुई थी। इसी तरह बंगाल में 2010 में अमिय महतो ,महंत महतो, सुनील महतो, मनोज महतो समेत कई नक्सलियों ने पटरियों की फिशप्लेट हटा दी थी, जिससे ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस पटरी से उतर गई और दूसरी मालगाड़ी उसमे जा घुसी, इसमें 150 लोगों की दुखद मौत हुई। इसी प्रकार असम में 2022 में भीषण बाढ़ आई थी, इस प्राकृतिक आपदा में कई लोगों की जान चली गई थी। बाद में जांच में पता चला कि, काबुल खान, मिठू हुसैन लस्कर, नजीर हुसैन लस्कर और रिपन खान ने जानबूझकर सिल्चर डैम को क्षतिग्रस्त कर दिया था, जिससे पानी रिहायशी इलाकों में घुस गया और लाखों लोगों के घर तबाह हो गए थे। हाल ही में बंगाल में एक रेलवे सिग्नल पर कोई अख़बार लगा गया था, जिसे RPF ने समय रहते हटा दिया, वरना वो सिग्नल भी बंद हो चुका था। ये घटनाएं बताती हैं कि, जिसे हादसा या प्राकृतिक आपदा समझा जाता है, वो आतंकियों-नक्सलियों की सोची समझी साजिश भी हो सकती है। ऐसे में सरकार और समाज को अत्यधिक जागरूक रहने की आवश्यकता है, क्योंकि इस वक़्त भारत के दुश्मन बहुत हैं, देश के अंदर भी और देश के बाहर भी। नौवीं पुण्यतिथि पर स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया को दी गई श्रद्धांजलि, पद्म विभूषण से सम्मानित करने की उठी मांग तमिलनाडु में जहरीली शराब से 57 मौतों पर कांग्रेस क्यों खामोश ? नड्डा ने खड़गे को लिखा पत्र संसद में केंद्र को घेरने के लिए राहुल गांधी ने बनाई 10 मुद्दों की लिस्ट, बोले- सरकार बचाने में व्यस्त हैं मोदी