नई दिल्ली: भारत में जल्द ही जनगणना शुरू होने की संभावना है, जिसके संकेत केंद्र सरकार ने हाल ही में दिए हैं। हालांकि, अब तक इसके लिए कोई आधिकारिक तारीख घोषित नहीं की गई है। सरकार जातिगत जनगणना पर विचार कर रही है, लेकिन इस पर अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। इसके साथ ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार 'एक देश, एक चुनाव' जैसी पहल को भी इस कार्यकाल में लागू कर सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दशकीय जनगणना की तैयारियाँ शुरू कर दी गई हैं। लेकिन जाति आधारित कॉलम जोड़ने पर निर्णय नहीं हुआ है। 1881 से भारत में हर 10 साल में जनगणना की जाती रही है। 2020 में इसे शुरू होना था, लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते इसे स्थगित करना पड़ा। महिला आरक्षण अधिनियम का कार्यान्वयन भी जनगणना से संबंधित परिसीमन प्रक्रिया पर निर्भर करता है, जो जनगणना के प्रासंगिक आंकड़ों के आधार पर होगी। सूत्रों के अनुसार, जातिगत जनगणना पर फैसला अभी लंबित है, जबकि कई राजनीतिक दल इसकी मांग कर रहे हैं। वर्तमान में सरकारी नीतियों और सब्सिडी के आवंटन के लिए 2011 के आंकड़ों का उपयोग किया जा रहा है क्योंकि नए आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। जनगणना के तहत घरों की सूचीबद्धता और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने का काम 1 अप्रैल से 30 सितंबर 2020 के बीच किया जाना था, जिसे महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया। अधिकारियों का कहना है कि पूरी जनगणना और NPR प्रक्रिया पर 12,000 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च होने का अनुमान है। यह पहली डिजिटल जनगणना होगी, जिसमें नागरिकों को खुद की गणना करने का विकल्प दिया जाएगा। इसके लिए एक स्व-गणना पोर्टल तैयार किया गया है, जो अभी लॉन्च नहीं किया गया है। स्व-गणना के दौरान आधार या मोबाइल नंबर की जानकारी भी अनिवार्य रूप से जुटाई जाएगी। डोनाल्ड ट्रम्प पर फिर जानलेवा हमला! गोल्फ खेलते समय होने लगी अंधाधुंध फायरिंग और फिर.. Operation Stovewood: पाकिस्तानियों ने किया सैकड़ों ब्रिटिश लड़कियों का रेप, 1400+ पीड़िताओं ने सुनाई आपबीती कांग्रेस MLA के बेटे ने तुड़वाई लड़की की शादी, तंग आकर पीड़िता ने की आत्महत्या