नई दिल्ली: केंद्र सरकार कट्टरवाद की विचारधारा को लेकर गंभीर है। केंद्र की तरफ से प्रदेशों को पत्र लिखकर कहा गया है कि जेल में कट्टरवाद की विचारधारा फैलाने वाले कैदियों को अलग रखा जाए, जिससे अन्य कैदियों पर इसका असर न पड़े। इसके साथ-साथ नकारात्मक तौर पर प्रभावित करने वाले कैदियों को अलग बाड़ों में रखा जाए। केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से सभी प्रदेशों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखा गया है। इसमें बताया गया है कि कट्टरवाद की विचारधारा फैलाने वाले कैदियों को जेल में अलग बैरक में रखा जाए। इसके साथ-साथ प्रदेश कारागर अफसरों को डी-रेडिकलाइजेशन पर विशेष सत्र का आयोजन करना चाहिए। यह गुमराह बदमाशों की मानसिकता में परिवर्तन लाने में सहायता कर सकता है। वहीं ड्रग्स और इसकी स्मगलिंग से जुड़े अपराध में कैद कैदियों को अन्य कैदियों से दूर रखा जाए। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रदेशों से कहा है कि अपने अधिकार क्षेत्र में मॉडल जेल मैनुअल 2016 को अपनाएं। पत्र में कहा गया है कि जिन प्रदेशों ने अबतक इसको नहीं अपनाया है वो इसमें तेजी लाएं और मैनुअल में दिए गए दिशा-निर्देशों के मुताबिक जेल सुधार लाने के लिए जरुरी कदम उठाएं। इसके अतिरिक्त पत्र में राज्य जेल अफसरों से अपील की गई है कि वे सभी जिला स्तरीय जेलों एवं न्यायालयों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा का इस्तेमाल करने के लिए विशेष कोशिश करें। जहां कहीं भी ऐसी सुविधा उपलब्ध नहीं है, संबंधित न्यायालयों के अफसरों के साथ मामले को तत्काल आधार पर उठाकर प्रदेश के अफसरों द्वारा उपयुक्त व्यवस्था की जा सकती है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों से जेल कर्मचारियों की सभी श्रेणियों में रिक्त पड़े पदों को भरने के लिए विशेष भर्ती अभियान आरम्भ करने की अपील की है क्योंकि जेल एवं सुधार सेवाओं जैसी 4 संवेदनशील संस्थाओं में कर्मचारियों की कमी नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह न सिर्फ एक संभावित सुरक्षा जोखिम है बल्कि जेल के कैदियों को भी अपराध के रास्ते से दूर करने से वंचित करता है। मृत्यु के बाद भी लोगों के दिलों में आज भी जिन्दा है जीजाबाई तीन इमली ब्रिज के निचे मिली अधजली लाश एमवाय अस्पताल में हुआ बड़ा धमाका, आधा दर्जन लोग हुए घायल