नई दिल्लीः केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर पर खास नजर रखने के लिए एक जीओएम का गठन किया है। यह समूह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विकास, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर नजर रखेगा। 31 अक्टूबर से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख देश में नए केंद्र शासित प्रदेशों की सूची में आ जाएंगे। सरकारी सूत्रों के अनुसार कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीएमओ के मंत्री जितेंद्र सिंह और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इस समूह का हिस्सा हैं। जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाने और केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन करने के बाद मंत्रियों का समूह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से संबंधित मुद्दों पर गौर करेगा और विभिन्न विकास, आर्थिक और सामाजिक कदम उठाने का सुझाव देगा। जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 इस महीने संसद द्वारा पारित किया गया था। इसके अनुसार जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को 31 अक्टूबर से केंद्र शासित प्रदेशों का दर्जा मिल जाएगा। जानकारी के मुताबिक सितंबर के पहले हफ्ते में मंत्कीरियों के समूह की पहली बैठक होगी। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार मंगलवार को 15 केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के सचिवों ने जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की प्रक्रिया को पूरा करने और वहा केंद्रीय योजनाओं के जल्द से जल्द कार्यान्वयन के तरीकों पर चर्चा हुई। बैठक में विशेष रूप से लद्दाख क्षेत्र में सर्दियों की शुरुआत से पहले आवश्यक वस्तुओं को स्टॉक करने के लिए किए जाने वाले उपायों पर भी चर्चा की गई। केंद्र सरकार कश्मीर मुद्दे पर खासी सतर्कता बरत रही है। 2021 में हो सकता है जम्मू कश्मीर का विधानसभा चुनाव, परिसीमन के कारण अटका है पेंच गुजरात दौरे पर पहुंचे अमित शाह, अहमदाबाद में 8 इलेक्ट्रिक बसों को दिखाई हरी झंडी छत्तीसगढ़: आरएसएस नेता की हत्या से भाजपा में आक्रोश, CM बघेल से की बैठक बुलाने की मांग