नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत से कहा कि इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफार्म का उपयोग कर भड़काऊ बयान, फर्जी खबरें और गैरकानूनी व राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में जबरदस्त इजाफा हुआ है। केंद्र ने कहा है कि इस मामले में मजबूत, प्रभावी व विस्तृत नियम बनाने की जरूरत है, जिसके लिए सरकार ने शीर्ष अदालत से और तीन महीने देने की गुहार लगाई है। सर्वोच्च अदालत में दायर हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि बीते कुछ सालों में सोशल मीडिया के इस्तेमाल में भारी इजाफा हुआ है और इंटरनेट दरें कम होने से, स्मार्ट फोन की उपलब्धता व बहुलता के कारण अधिक से अधिक लोग इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने कहा है कि इंटरनेट, लोकतांत्रिक राजनीति को अकल्पनीय व्यावधान का प्रभावशाली हथियार हो गया है। लिहाजा इसे लेकर कड़े नियम बनाने की दरकार है क्योंकि इससे व्यक्तिगत अधिकार और देश की अखंडता, संप्रभूता और सुरक्षा पर खतरा बढ़ता जा रहा है। सरकार ने कहा है फेसबुक, व्हाट्सएप, यू ट्यूब आदि सोशल मीडिया प्लेटफार्म की जवाबदेही को लेकर प्रभावी नियम बनाने की जरूरत है। सोशल मीडिया साइट्स को कटेंट प्रसारित व प्रचारित करने के लिए और जवाबदेह बनाने की जरूरत है। इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा दायर इस हलफनामे में कहा गया कि फेसबुक, व्हाट्सएप जैसे इंटरमीडयरिज को लेकर 2011 में बनाए गए नियमों को दुरूस्त करने की जरूरत है। नए नियमों केलेकर सलाह व सुझाव मांगे जा रहे हैं। मंत्रालय ने कहा कि सोशन मीडिया कंपनियां सहित अन्य हितधारकों केसाथ ही कई दौर की बैठक भी हो चुकी है। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने बापू को लेकर फिर दिया बयान, बताया 'राष्ट्रपुत्र' सीएम योगी का सख्त आदेश, बंद की जाएं मुर्गा और बकरा काटने वाली दुकानें, अगर खुली मिलीं तो..... रोहित शर्मा को इस सीरीज के लिए मिल सकती है कप्तानी, विराट लेंगे ब्रेक ?