नई दिल्ली: कोरोना महामारी के संकटकाल में लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) के मामले में केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में नया हलफनामा दायर किया है. केंद्र की ओर से दायर किए गए हलफनामे में कहा गया है कि 2 करोड़ तक के कर्ज के लिए चक्रवृद्धि ब्याज (ब्याज पर ब्याज) माफ करने के अलावा कोई और राहत देना राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और बैंकिंग क्षेत्र के लिए नुकसानदायक हो सकता है. सरकार की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल किए गए हलफनामे में कहा गया है कि ‘वित्तीय पैकेजों के जरिए पहले ही राहत का ऐलान किया जा चुका है, उस पैकेज में और अधिक छूट जोड़ना संभव नहीं है.’ केंद्र सरकार की ओर से अदालत को यह भी बताया गया कि 2 करोड़ तक के कर्ज के लिए चक्रवृद्धि ब्याज माफ करने के तौर तरीकों को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद जारी किया जाएगा. केंद्र सरकार के हलफनामे में कहा गया है कि बैंकों को नोटिफिकेशन की तारीख से एक महीने के भीतर ही चक्रवृद्धि ब्याज माफी योजना को लागू करना होगा. हलफनामे में अदालत को बताया गया कि गंभीर आर्थिक और आर्थिक तनाव को ध्यान में रखते हुए सरकार और रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) द्वारा निर्णय लिए गए हैं. ताइवान का राष्ट्रीय दिवस आज, भाजपा नेता ने चीनी दूतावास पर लगाए ये पोस्टर त्योहारी सीजन से पहले महंगा हुआ सोना-चांदी, जानिए आज के भाव भारतीय स्टार्टअप्स बनाएंगे एक स्वदेशी ऐप डेवलपर एसोसिएशन