नई दिल्ली: एक दिन पहले ही रिटायर हुए पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय (Alapan Bandyopadhyay) को केंद्र द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी करने पर कानून के जानकारों की अलग-अलग राय है। कुछ विशेषज्ञों का दावा है कि यह कदम टिकने वाला नहीं है, वहीं अन्य का कहना था कि सेवा नियमों के उल्लंघन को लेकर अलपन बंदोपाध्याय पर कार्रवाई शुरू की जा सकती है। बता दें कि केंद्र और ममता बनर्जी सरकार के बीच टकराव के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के कड़े प्रावधान के तहत बंदोपाध्याय को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। इस प्रावधान के तहत दो वर्ष तक की कैद हो सकती है। वरिष्ठ वकील विकास रंजन भट्टाचार्य कहते हैं कि "कारण बताओ नोटिस कानूनी कसौटी पर टिकने वाला नहीं है।’ त्रिपुरा के महाधिवक्ता के तौर पर कार्य कर चुके CPIM नेता ने कहा कि, ‘‘किसी बैठक में गैर मौजूदगी किसी भी तरह से आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत जारी निर्देशों का उल्लंघन नहीं है, इसलिए जारी किया गया कारण बताओ नोटिस कानूनी कसौटी पर टिकने वाला नहीं है। वकील लोकनाथ चटर्जी ने कहा कि आपदा प्रबंधन कानून के प्रावधानों के मुताबिक, कार्रवाई नहीं करने वाले शख्स के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। उन्होंने कहा कि, 'यह उनके सेवा नियमों और आपदा प्रबंधन कानून का उल्लंघन है। एक वरिष्ठ प्राधिकार द्वारा ऐसा करने के लिए कहे जाने के बाद भी अलपन बैठक में शामिल नहीं हुए।’ वहीं एक अन्य वकील जयंत नारायण चटर्जी ने कहा कि आपदा प्रबंधन कानून की धारा 51-बी के तहत कारण बताओ नोटिस भेजने का कोई प्रावधान नहीं है। अखिलेश यादव ने की राज्य बोर्ड परीक्षा रद्द करने की मांग मोदी सरकार ने 'शरीयत' में दखल दिया, इसलिए देश में आया कोरोना और तूफ़ान - सपा सांसद ST हसन नाइजीरियाई राष्ट्रपति मुहम्मदु बुहारी ने कोविड से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों का किया आह्वान