देशभर में कोयले की किल्लत, क्या गहराने वाला है बिजली संकट ?

नई दिल्ली: देश में कोयले का संकट लगातार गहराता जा रहा है. ये बात केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में कही है. कोयले के संकट गहराने का असर सीधा-सीधा बिजली के उत्पादन पर पड़ेगा, क्योंकि देश में अधिकतर बिजली का उत्पादन कोयले द्वारा ही होता है. देश में इस समय 135 पॉवर प्लांट ऐसे हैं, जहां कोयले से बिजली बनाई जाती है. 

कोयला उत्पादन के एक नोट की मानें तो 1 अक्टूबर की स्थिति के मुताबिक, इन 135 पॉवर प्लांट्स में से 72 के पास तीन दिन से भी कम का कोयले का स्टॉक बचा था. वहीं, 4 से 10 दिन का स्टॉक मेंटेन करने वाले बिजली घरों की संख्या 50 है. ऊर्जा मंत्रालय के नोट में जो आंकड़े सामने आए हैं, वो डराने वाले हैं.  2019 में अगस्त-सितंबर में 106.6 बिलियन यूनिट्स बिजली की खपत हुई थी, जबकि इस साल अगस्त-सितंबर में 124.2 बिलियन यूनिट्स की खपत हुई.  इसी दौरान कोयले से बिजली का उत्पादन 2019 के 61.91 फीसद से बढ़कर 66.35 फीसद हो गया. अगस्त-सितंबर 2019 की तुलना में इस साल के इन्हीं दो माह में कोयले की खपत 18 फीसद बढ़ गया. बता दें कि मार्च 2021 में इंडोनेशिया से आने वाले कोयले का भाव 60 डॉलर प्रति टन थी, किन्तु सितंबर-अक्टूबर में इसकी कीमत 200 डॉलर प्रति टन बढ़ गईं. इससे कोयले का आयात कम हो गया. 

बता दें कि मॉनसून सीजन में कोयले पर चलने वाली बिजली की खपत बढ़ गई, जिससे बिजली घरों में कोयले की किल्लत हो गई. 1 अक्टूबर 2021 की स्थिति के मुताबिक, 135 प्लांट ऐसे हैं जहां 3 दिन से भी कम का कोयला शेष है. 50 प्लांट ऐसे हैं जहां 4 से 10 दिन का स्टॉक है और महज 13 प्लांट ही ऐसे हैं जहां 10 दिन से अधिक का स्टॉक है.

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