नई दिल्ली: देश में कोरोना के केस बीते दिनों में काफी कम हुए हैं. लेकिन तीसरी लहर की आशंका भी जाहिर की जा रही है, वैसे में कोरोना को रोकने में कोरोना वैक्सीन एक बड़ा हथियार मानी जा रही है. कोरोना वैक्सीन सरकार द्वारा कोरोना खत्म करने के लिए अपनाई जा रही नीति का अहम पिलर है. सरकार टेस्ट, ट्रेक, ट्रीट और कोविड अनुरूप व्यवहार के जरिए कोरोना पर नियंत्रण पाना चाह रही है. वहीं कोरोना वैक्सीन को लेकर कई राज्य सरकारों और केंद्र सरकार में तकरार भी हो रही है. प्रियंका गांधी, भूपेश बघेल, अरविंद केजरीवाल से लेकर कई अन्य विपक्षी नेताओं और मुख्यमंत्रियों ने केंद्र की वैक्सीन नीति पर सवाल उठाए हैं. केंद्र सरकार राज्यों को मुफ्त में वैक्सीन उपलब्ध करा रही है ताकि अधिक से अधिक नागरिकों को टीका लगाया जा सके. वैक्सीन की नेशनल ड्राइव का तीसरा चरण (the Liberalized and Accelerated Phase-3 Strategy of Covid-19 Vaccination) एक मई से आरंभ हो चुका है. इस नीति के तहत सेंट्रल ड्रग लेबोरेट्री (Central Drugs Laboratory) के द्वारा हर महीने जितनी भी वैक्सीन को इजाजत दी जाएगी वो चाहे किसी भी उत्पादनकर्ता की हों, इसकी पचास फीसद वैक्सीन केंद्र द्वारा खरीदी जाएंगी. जिन्हें राज्यों को मुफ्त में उपलब्ध कराया जाएगा जैसा कि पहले से किया जा रहा है. अब तक केंद्र ने दोनों माध्यमों से राज्यों को वैक्सीन उपलब्ध कराई है, एक फ्री ऑफ कोस्ट, दूसरा राज्य द्वारा वैक्सीन की सीधी खरीद, दोनों ही मामलों को मिलाकर केंद्र ने राज्यों को 24 करोड़ से अधिक वैक्सीन मुहैया कराई है. इनमें से 22,27,33,963 वैक्सीन डोज का इस्तेमाल किया जा चुका है जिसमें खराब होने वाली वैक्सीन भी शामिल हैं. इसके अलावा 1.93 करोड़ वैक्सीन(1,93,95,287) अभी भी राज्यों के पास मौजूद हैं. बायर इंडिया ने भारत में की उपभोक्ता स्वास्थ्य प्रभाग की शुरूआत RBI गवर्नर ने कहा- "भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर से..." कोरोना महामारी के चलते 'मुकेश अंबानी' ने नहीं लिया एक साल का वेतन, जानिए कितनी है वार्षिक सैलरी