'केंद्र हमें पैसा नहीं दे रहा..', धरने पर बैठी कांग्रेस, लेकिन कर्नाटक सरकार के पास क्यों नहीं बचा धन ?

बैंगलोर: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेंगलुरु दौरे से पहले, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला सहित कांग्रेस नेताओं ने आज मंगलवार को बेंगलुरु के विधानसभा में केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सूखा राहत को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार पर सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया। 

सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि कर्नाटक के किसान सूखे की मार झेल रहे हैं और उन्होंने सूखा राहत नहीं देने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया।  उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, "किसान सूखे के कारण पीड़ित हैं। अब तक, हमने अपने किसानों को 650 करोड़ रुपये वितरित किए हैं। निर्मला सीतारमण और नरेंद्र मोदी ही कारण हैं कि कर्नाटक को राहत नहीं दी गई है।" रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर सूखा राहत के लिए धन जारी न करके किसानों और कर्नाटक के लोगों से बदला लेने का आरोप लगाया। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर भी निशाना साधते हुए कहा कि सूखा राहत के लिए 18,172 करोड़ रुपये जारी किए बिना उन्हें कर्नाटक की धरती पर कदम रखने का कोई अधिकार नहीं है। 

सुरजेवाला ने कहा कि, "कर्नाटक के साथ बहुत बड़ा अन्याय हो रहा है। मोदी सरकार कर्नाटक के किसानों और लोगों से बदला लेना चाहती है। यह बदले की राजनीति है, यह भाजपा की द्वेष की राजनीति है। अमित शाह आज आ रहे हैं, उन्हें इस धरती पर पैर रखने का कोई अधिकार नहीं है। कर्नाटक का, 18172 करोड़ रुपये जारी किए बिना वो यहाँ नहीं आ सकते। इसलिए हमारे मुख्यमंत्री यहां बैठे हैं। कर्नाटक के लिए न्याय करना होगा। कर्नाटक के प्रति मोदी सरकार की दुश्मनी खत्म करनी होगी, अमित शाह हमारे पैसे जारी किए बिना कर्नाटक कैसे आ सकते हैं।'' 

कर्नाटक कांग्रेस विधायक रिजवान अरशद ने कहा कि "हम गंभीर सूखे में हैं, कर्नाटक का 95 प्रतिशत हिस्सा गंभीर सूखे में है। हमारे यहां पिछले 10 महीनों से बारिश नहीं हुई है। तो, पीएम मोदी ने हमें मुआवजा क्यों नहीं दिया?  ऐसा क्या हो रहा है आप कर्नाटक के खिलाफ हैं? तो हमें सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा। अब सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि मोदी सरकार इस हफ्ते मुआवजा जारी करने पर सहमत हो गई है। क्या हमें अपने अधिकारों के लिए कोर्ट जाना होगा?"  उन्होंने कहा, "हम धरने पर क्यों बैठे हैं? क्योंकि इसे दोहराया नहीं जाना चाहिए। वे दक्षिण भारतीय राज्यों के साथ भेदभाव नहीं कर सकते।"  

कहाँ गया कर्नाटक सरकार का धन ?

बता दें कि, कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान मुफ्त के चुनावी वादे किए थे, जिसके बाद वो सत्ता में तो आ गई, लेकिन इन गारंटियों को पूरा करने में सरकारी ख़ज़ाने पर बोझ बढ़ गया। एक बार जब कांग्रेस विधायकों ने अपने क्षेत्रों में विकास कार्य के लिए राज्य सरकार से धन माँगा, तो डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने ये कहते हुए मना कर दिया कि चुनावी गारंटियों को पूरा करने में हमें फंड लगाना पड़ा है, इसलिए अभी विकास कार्यों के लिए पैसा नहीं दे सकते। अब जब राज्य सूखे से जूझ रहा है, तो राज्य सरकार ने केंद्र से आर्थिक मदद मांगी है। केंद्र सरकार ने एक हफ्ते में धनराशि जारी करने की बात कही है। हालाँकि, कांग्रेस के चुनावी वादों पर भी अर्थशास्त्रियों ने चिंता जताई थी कि मुफ्त की चीज़ों से सरकारी ख़ज़ाने पर बोझ बढ़ेगा और बाकी विकास कार्यों के लिए पैसा नहीं बचेगा, लेकिन उस समय पार्टी ने इन बातों को नज़रअंदाज़ कर दिया था। यही नहीं, सरकार बनने के बाद कांग्रेस ने अपनी मुफ्त की 5 चुनावी गारंटियों को पूरा करने के लिए  SC/ST वेलफेयर फंड से 11 हजार करोड़ रुपये निकाल लिए थे। बता दें कि,  कर्नाटक शेड्यूल कास्ट सब-प्लान और ट्रायबल सब-प्लान एक्ट के मुताबिक, राज्य सरकार को अपने कुल बजट का 24.1% SC/ST के उत्थान के लिए खर्च करना पड़ता है। लेकिन उन 34000 करोड़ में से भी 11000 करोड़ रुपए राज्य सरकार ने निकाल लिए। इसके बाद राज्य सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए एक योजना शुरू की, जिसमे उन्हें वाहन खरीदने पर 3 लाख तक की सब्सिडी देने का ऐलान किया था। उस योजना के अनुसार, यदि कोई अल्पसंख्यक 8 लाख रुपये की कार खरीदता है, तो उसे मात्र 80,000 रुपये का शुरूआती भुगतान करना होगा। 3 लाख रुपए राज्य सरकार देगी, यही नहीं बाकी पैसों के लिए भी बैंक ऋण सरकार ही दिलाएगी। वहीं, इस साल के बजट में कांग्रेस सरकार ने वक्फ प्रॉपर्टी के लिए 100 करोड़ और ईसाई समुदाय के लिए 200 करोड़ आवंटित किए हैं।जानकारों का कहना है कि, धन का सही प्रबंधन नहीं करने के कारण, राज्य सरकार का खज़ाना खाली हो गया और आज सूखे से जूझ रहे कर्नाटक को राहत देने के लिए कांग्रेस सरकार के पास पैसा नहीं बचा। 

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