गुवाहाटी: केंद्र सरकार ने असम को भारत से अलग करने और हिंसक गतिविधियों में शामिल होने वाले संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) पर प्रतिबंध को पांच साल के लिए बढ़ा दिया है। यह निर्णय 25 नवंबर को लिया गया। उल्फा को पहली बार 1990 में प्रतिबंधित किया गया था, और तब से इस प्रतिबंध को समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना में बताया कि उल्फा भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरा है। यह संगठन असम को भारत से अलग करने की कोशिशों में शामिल है। उल्फा जबरन वसूली, हिंसा और उग्रवादी गतिविधियों के लिए अन्य समूहों के साथ संबंध बनाए हुए है। इसके पास अवैध हथियार और गोला-बारूद हैं। 2019 से 2024 के बीच उल्फा के खिलाफ 16 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें कई विस्फोटों के मामले शामिल हैं। पुलिस और सुरक्षा बलों की कार्रवाई में तीन सदस्य मारे गए, 56 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया और 63 ने आत्मसमर्पण किया। उल्फा के खिलाफ 15 मामले दर्ज हुए, जिनमें से तीन में चार्जशीट दाखिल की गई। संगठन के पास से 27 हथियार, 550 गोलियां, नौ ग्रेनेड और दो विस्फोटक उपकरण बरामद किए गए। असम सरकार ने केंद्र को सिफारिश की थी कि उल्फा को गैरकानूनी संगठन घोषित किया जाए। इसके बाद, केंद्र सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत उल्फा को 27 नवंबर 2024 से अगले पांच वर्षों तक प्रतिबंधित घोषित किया है। यह फैसला उल्फा के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है और असम में शांति व्यवस्था बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सड़क किनारे सो रहे लोगों को कुचल गया तेज़ रफ़्तार ट्रेक्टर, 5 की दुखद मौत पत्थरबाज़ी को जायज ठहरा रहे सपा सांसद रामगोपाल यादव, संभल मामले पर दिया विवादित बयान संजय दत्त से लेकर कैलाश विजयवर्गीय तक... बागेश्वर बाबा की पद यात्रा में दिखे ये-सितारें