नई दिल्ली: भारत सरकार का पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय देश में कचरा प्रबंधन की स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। इसके तहत, 6 दिसंबर, 2024 को कागज, कांच, धातु एवं स्वच्छता उत्पादों से निर्मित पैकेजिंग के लिए विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) नियमों का मसौदा अधिसूचित किया गया। यह नया नियम 1 अप्रैल, 2026 से प्रभावी होगा। इन नियमों का लक्ष्य देश में कचरा प्रबंधन की दिशा में महत्वपूर्ण सुधार करना है, जिससे पर्यावरण संरक्षण को सुनिश्चित किया जा सके तथा संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सके। EPR नियमों के तहत, उत्पादकों, आयातकों एवं ब्रांड मालिकों (PIBOs) को अपनी पैकेजिंग सामग्री के संपूर्ण जीवनचक्र पर उत्तरदायित्व निभाना होगा। इसका मतलब है कि उन्हें पैकेजिंग के इस्तेमाल के बाद उसके उचित निस्तारण, पुनर्चक्रण एवं संग्रहण की जिम्मेदारी लेनी होगी। यह नियम सुनिश्चित करेंगे कि कचरे का उचित प्रबंधन किया जाए, जिससे न सिर्फ पर्यावरणीय प्रदूषण कम हो सके, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों का भी संरक्षण हो। यह पहल सरकार के दीर्घकालिक पर्यावरणीय लक्ष्यों और सतत विकास के प्रयासों के अनुरूप है। नई EPR नियमों के तहत कचरा प्रबंधन के विभिन्न चरणों पर ध्यान दिया जाएगा, जिसमें कचरे का संग्रहण, पुनर्चक्रण एवं उसे सुरक्षित रूप से निष्पादित करना सम्मिलित है। इसके ज़रिए सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि पैकेजिंग सामग्री का पुनर्चक्रण संभव हो और कचरे का संग्रहण भी सही तरीके से किया जाए। इसके लिए सरकार ने स्पष्ट लक्ष्यों का निर्धारण किया है, जो प्रदूषण कम करने और संसाधनों के संरक्षण के लिए मार्गदर्शन प्रदान करेंगे। इन उपायों से भारत के कचरा प्रबंधन ढांचे में स्थिरता आएगी तथा पर्यावरणीय जोखिम को कम किया जाएगा। टिकाऊ पैकेजिंग डिज़ाइन को बढ़ावा मसौदा नियमों के तहत, पर्यावरणीय प्रभाव को न्यूनतम करने के लिए पुनर्नवीनीकरण एवं टिकाऊ पैकेजिंग डिज़ाइन के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया गया है। इसमें इको-फ्रेंडली सामग्रियों का इस्तेमाल करने पर विशेष जोर दिया गया है, ताकि पैकेजिंग से उत्पन्न कचरे का प्रभाव पर्यावरण पर कम हो सके। इसके साथ ही, रीसाइक्लिंग की नई और उन्नत तकनीकों को प्रोत्साहित किया गया है, जिससे कचरे का पुनर्नवीनीकरण अधिक प्रभावी तरीके से किया जा सके। यह कदम स्वच्छ भारत मिशन के उद्देश्यों के साथ भी मेल खाता है, जो स्वच्छता और कचरा प्रबंधन में सुधार की दिशा में है। कंपनियों पर पारदर्शिता और लेखा-जोखा की जिम्मेदारी नई नियमों के तहत, कंपनियों एवं उत्पादकों को अपने कचरा प्रबंधन प्रयासों का पूर्ण लेखा-जोखा रखना होगा। यह न सिर्फ पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि कंपनियाँ अपने रीसाइक्लिंग लक्ष्यों को पूरा करने में सक्रिय रूप से भाग लें। इसके लिए उन्हें अपने प्रयासों का विवरण सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत करना होगा। यह कदम पर्यावरणीय जिम्मेदारी को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ उन कंपनियों को भी प्रोत्साहित करेगा जो पर्यावरणीय मानकों को पूरा करने में सफलता प्राप्त करती हैं। इसके अतिरिक्त, यह नियम रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न करेंगे, क्योंकि कचरा प्रबंधन और रीसाइक्लिंग उद्योग में नई नौकरियाँ तथा क्षेत्रीय विकास के अवसर उत्पन्न होंगे। औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्रों का सामंजस्य भारत में कचरा प्रबंधन एक जटिल समस्या है, जिसमें औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों क्षेत्रों की अहम भूमिका है। नए नियमों के तहत, सरकार औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्रों को एक साथ लाकर कचरा प्रबंधन के समाधान पर काम करेगी। यह सुनिश्चित करेगा कि दोनों क्षेत्र आपस में मिलकर काम करें तथा कचरे की अधिकतम पुनर्चक्रण दर हासिल हो सके। इसके साथ ही, कचरा प्रबंधन में सम्मिलित विभिन्न समूहों को सशक्त बनाने के लिए सरकार ने नई नीतियाँ और दिशा-निर्देश बनाए हैं। भारत सरकार द्वारा जारी किए गए ये नए नियम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अहम कदम हैं। इन नियमों से न सिर्फ कचरे का उचित प्रबंधन होगा, बल्कि इससे प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी सुनिश्चित होगा। यह नियम स्वच्छता में सुधार लाने, प्रदूषण को कम करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक ठोस प्रयास हैं। पुष्पा-2 का फाइट सीन देखकर शख्स खुद को समझ बैठा अल्लू अर्जुन, कर दिया ये-कांड मां काली की पूजा के दौरान पुजारी ने कर दिया ऐसा कांड, मच गई सनसनी केजरीवाल का बड़ा झटका, दिल्ली चुनाव अकेले लड़ेगी AAP