आप सभी को बता दें कि नवरात्रि के 7वें दिन मां दुर्गा के कालरात्रि रूप की पूजा करते हैं. ऐसे में मां कालरात्रि अपने भक्तों सारे भय हर लेती हैं और काल का नाश करने वाली मां कालरात्रि की पूजा करने से जीवन की सभी समस्याओं को हल करने की शक्ति मिलती है. आप सभी को बता दें कि इनका एक नाम शुभंकारी भी है और इस दिन साधक को अपना चित्त भानु चक्र में स्थिर कर साधना करनी चाहिए. इसी के साथ मां दुर्गा के कालरात्रि रूप का अवतार असुरों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए हुआ था और इनकी पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है. कहा जाता है मां कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत भयानक है, मगर वह सदैव अपने भक्तों को शुभ फल प्रदान करती हैं. इसी के साथ कालरात्रि माता का स्मरण करने से दानव, दैत्य, राक्षस, भूत-प्रेत आदि डरकर भाग जाते हैं और दुष्टों का नाश करने वाली मां कालरात्रि ग्रह बाधाओं को भी दूर करती हैं. ध्यान रहे मां कालरात्रि की पूजा सुबह चार से 6 बजे तक करनी चाहिए और परेशानी में हों तो सात या सौ नींबू की माला देवी को चढ़ाएं. इसी के साथ सप्तमी की रात्रि तिल या सरसों के तेल की अखंड ज्योत जलाएं और सिद्धकुंजिका स्तोत्र, अर्गला स्तोत्रम, काली चालीसा, काली पुराण का पाठ करना चाहिए. अगर सम्भव है तो इस रात्रि संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का पाठ करें इससे बड़ा लाभ हो सकता है. अष्टमी के दिन करें देवी दुर्गा के सरल बीज मंत्र का जाप, चढ़ाये यह भोग इस नवरात्रि राशि के अनुसार इन मंत्रों से करें देवी मां को प्रसन्न टोयोटा की इन कारों पर मिल रही है 1 लाख तक की छूट