नई दिल्ली: देश में इस समय चुनावी समर चल रहा है और चारों ओर चुनाव की ही चर्चाएं सुनाई दे रही हैं। वहीं यदि देखा जाए तो भाजपा को पांच राज्यों में होने वाले चुनाव के दौरान काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं राज्यों की विधानसभाओं के लिए चंद रोज बाद होने जा रहे चुनाव की तस्वीर के रंग धीरे धीरे स्पष्ट हो रहे हैं। इनमें से तीन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकारें हैं और वहां व्यवस्था विरोधी वोट के अलावा पार्टी को अंदरूनी चुनौतियों का मुक़ाबला करना पड़ रहा है। समाजवादियों का एकमात्र लक्ष्य भाजपा को सत्ता से हटाना- अखिलेश यादव जानकारी के अनुसार बता दें कि देश में मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसे देखते हुए भाजपा में आंतरिक अनुशासन तार-तार है। इसके अलावा दो राज्यों मिज़ोरम और तेलंगाना में भी राज्य इकाइयां बेहद कठिन स्थिति का सामना कर रही हैं। यहां बता दें कि इन राज्यों का चुनावी रूप भाजपा के लिए बहुत हौसला बढ़ाने वाला नहीं है। राम-राम की नीति में बिसरते राम! गौरतलब है कि देश में केंद्र सरकार भाजपा की है और साथ ही कई राज्यों में भी भाजपा काबिज है। वहीं कांग्रेस द्वारा भी इस चुनाव में पूरी दम लगाई जा रही है। जहां तक देखा जाए तो इन पांचों राज्यों में भाजपा की स्थिति कुछ ठीक नजर नहीं आ रही है। वहीं विधानसभा चुनाव केे परिणाम भी इस पर बहुत गहरा प्रभाव डालेंगे। अब देखना है कि इस चुनावी समर में भाजपा कितना संघर्ष कर पाती है और अपनी जीत का पताका किन किन राज्यों में फहराती है। खबरें और भी विधानसभा चुनाव 2018 : छत्तीसगढ़ पहुंचे अमित शाह, पीएम मोदी और नितिन गडकरी भी संभालेंगे इन राज्यों में चुनावी कमान मध्यप्रदेश चुनाव 2018: कांग्रेस ने जारी की पहली सूची, 155 उम्मीदवारों को दिया टिकट उमा भारती अयोध्या राम मंदिर की मदद करने पूरी तरह से तैयार