नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के नए गवर्नर शक्तिकांत दास के सामने न सिर्फ पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल के अधूरे कामों का भारी भरकम एजेंडा है बल्कि उन्हें आरबीआई की साख सुधारने की बड़ी जिम्मेदारी भी निभानी होगी। इसके अलावा नए गवर्नर से बाजार को उम्मीद है कि वो नकदी की किल्लत को भी खत्म करेंगे। यहां बता दें कि सबसे अहम बात है कि दास को हालात को समझने के लिए बहुत ज्यादा समय नहीं मिलेगा क्योंकि सिर्फ तीन दिन बाद उनके नेतृत्व में आरबीआई के निदेशक बोर्ड की पहली बैठक होने वाली है। राजस्थान , छत्तीसगढ़ में बहुमत वही म.प्र में भी सबसे बड़ी कांग्रेस वहीं बता दें कि इस बैठक में उन्हें पिछली 19 नवंबर की बोर्ड बैठक में लिए गए फैसलों को लागू करने पर सरकार के प्रतिनिधियों और आरबीआई बोर्ड के बीच सहमति बनानी होगी। बता दें कि आरबीआई और सरकार के बीच चल रहे विवाद को दास किस तरह से डील करते हैं यह तो वक्त बताएगा लेकिन उन्हें इस बात का खयाल रखना होगा कि उनके साथ अभी पूर्व गवर्नर की ही टीम होगी। इसमें पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य भी शामिल हैं जिन्होंने सरकार के हस्तक्षेप के खिलाफ सबसे पहले सार्वजनिक बयान दिया था। शीतकालीन सत्र: सुमित्रा महाजन ने बुलाई सर्वदलीय बैठक, सदन के कार्यों पर होगी चर्चा इसके साथ ही माना जाता है कि पिछली बोर्ड की बैठक में जिन मुद्दों पर फैसला हुआ उसको लेकर आचार्य के अलावा आरबीआई के कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी असहज हैं। इनमें खासतौर पर आरबीआई के रिजर्व फंड के इस्तेमाल के मौजूदा नियमों में बदलाव को लेकर गठित होने वाली समिति का मुद्दा है जिस पर तनाव हो सकता है। खबरें और भी आने वाले दिनों में इस प्रदेश में होगी बूंदाबांदी और बढ़े जाएगी ठंड यहां निकली पुलिस की बंपर भर्तियां, जल्द करें अप्लाई इलाहबाद हाईकोर्ट: सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा की सीबीआई जाँच पर रोक