आंगनवाड़ी में पढ़ता और वहां की खिचड़ी भी खाता है इस IAS अधिकारी का बेटा

देहरादून: कुछ ऐसे ऐसे होते हैं जिनके पास चाहे कितना ही पैसा क्यों ना हो लेकिन फिर भी वो कभी अपने पैसो का घमंड नहीं करते हैं. हम आपको आज एक ऐसी ही महिला के बारे में बता रहे हैं जो चमोली की जिलाधिकारी है. इनका नाम है स्वाति भदौरिया जिन्होंने अपने दो वर्षीय बेटे को शहर के किसी मंहगे स्कूल में भेजने की बजाय गोपेश्वर गांव में स्थित आंगनवाड़ी केंद्र में दाखिल कराया और इसके जरिए स्वाति ने दूसरों के लिये अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है.

स्वाति ने अपने इस निर्णय पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि, ' आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों के विकास के लिए जरूरी सभी प्रकार की सुविधायें और समग्र वातावरण मौजूद है.इन केंद्रों में शिक्षा, खेल और खाना सब साथ-साथ चलता है. वहां अन्य बच्चों के साथ मेरा बेटे बहुत अच्छा महसूस कर रहा है.' इस जिलाधिकारी के लिये अपने बेटे को आंगनवाड़ी केंद्र भेजने हेतु प्रेरित होने की एक वजह यह भी है कि उनका ये मानना है कि वह ऐसे वातावरण में बड़ा हो रहा है जहां चीजों को आपस में साझा किया जाता है.

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चमोली की जिलाधिकारी स्वाति ने इस बारे में ये भी कहा कि, 'मेरे बेटे ने अपने सहपाठियों के साथ खाना खाया और जब वह घर लौटा तो काफी प्रसन्न दिखायी दे रहा था.' आपको बता दें स्वाति के पति नितिन भदौरिया भी एक आइएएस अफसर है और फिलहाल अल्मोड़ा के जिलाधिकारी के पद पर तैनात हैं. स्वाति ने अपने इस निर्णय के बारे में बताया कि 'उनके इस निर्णय के पीछे एक कारण यह भी है कि इससे आंगनवाड़ी केंद्रों के प्रति आम दृष्टिकोण में बदलाव आयेगा.' इसके साथ ही आंगनवाड़ी केंद्र में एक स्वयंसेविका मंजू भटट ने बताया कि 'मंगलवार को अभ्युदय पहली बार आंगनवाड़ी केंद्र आया और वहां उसने अन्य बच्चों के साथ खिचड़ी भी खाई.' वैसे स्वाति भदौरिया ने अपनी इस पहल के जरिए कई लोगों को नया सन्देश प्रदान किया है.

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