महज 20 रुपए में 'बांस की बोतल' दे रहे चन्दन, प्लास्टिक से प्रदूषण के खिलाफ छेड़ी जंग

गुवाहाटी: पर्यटन केंद्रों पर सबसे अधिक शिकायत आने वाले पर्यटकों की तरफ से प्रदूषण फैलाए जाने की होती है. सैलानी पर्यटन केंद्रों पर घूमने तो जाते हैं, मगर साथ लाया कूड़ा कचरा, खाली डब्बे, प्लास्टिक की बोतलें वहीं फेंक आते हैं, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक होता है और उसे नुकसान पहुंचाता है. इन सबके बीच कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जो दूसरों के लिए नजीर बन जाते हैं.

असम निवासी चंदन नाथ भी ऐसे ही एक नागरिक हैं, जो आज प्लास्टिक के खिलाफ अभियान में मिसाल बन गए हैं. चंदन काजीरंगा घूमने आने वाले पर्यटकों की तरफ से फैलाए जाने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए अनूठी मुहिम शुरू कर चुके हैं. चंदन काजीरंगा इलाके में ही रहते हैं और आने वाले सैलानियों को सफारी के लिए काजीरंगा नेशनल पार्क ले जाते हैं. इस क्षेत्र में प्लास्टिक की बोतल ले जाना प्रतिबंधित है और चंदन नाथ जैसे लोग पर्यटकों से अनुरोध भी करते हैं कि वे प्लास्टिक की पानी की बोतल न ले जाएं.

पानी की बोतल न ले जाने पर सैलानियों को समस्या ना हो, इसके लिए चंदन नाथ इलाके में ही उगने वाले बांस की बोतल उपलब्ध करवाते हैं. ये न तो सैलानियों के लिए हानिकारक है और ना ही पर्यावरण के लिए. विगत तीन वर्षों से चंदन नाथ काजीरंगा आने वाले पर्यटकों को प्लास्टिक की बोतल की जगह बांस की बोतल दे रहे हैं, जिसकी कीमत मात्र 20 रुपये है. मजे की बात ये है कि चंदन स्वयं ये बोतल बनाते हैं और पर्यटकों को बेचते हैं.

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