10 जनवरी को साल 2020 का पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। इसके अलावा यह चंद्र ग्रहण शुक्रवार, 10 जनवरी की रात 10 बजकर 38 मिनट से शुरू होकर रात के 2 बजकर 42 मिनट तक रह सकता है । इस चंद्र ग्रहण की अवधी 4 घंटे से अधिक की रहेगी और यह भारत में भी दिखाई देगा। इस चंद्र ग्रहण को लेकर लोग कहीं तरह की दुविधा में हैं। कुछ लोगों का कहना है कि चंद्र ग्रहण लगेगा और कुछ का कहना है चंद्र ग्रहण नहीं लगेगा। आज हम आपकी इस दुविधा को दूर करते हैं... इसके अलावा पर चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है। सूतक काल में सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और ग्रहण के खत्म हो जाने के बाद ही मंदिरों के कपाट खोले जाते हैं। परंतु इस बार यह चंद्र ग्रहण नहीं है यह केवल उपछाया चंद्र ग्रहण है। जिस वजह से मंदिरों के कपाट भी खुले रहेंगे और धार्मिक कार्यों में किसी तरह की कोई रुकवाट भी नहीं आएगी क्योंकि भारतीय ज्योतिशास्त्र और पंचांग के अनुसार उपछाया चंद्र ग्रहण को चंद्र ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। आइए,आपको ज्योतिष के नज़र से उपछाया चंद्र ग्रहण के बारें में बताते हैं| उपछाया चंद्र ग्रहण ज्योतिष नजर से ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक चंद्र ग्रहण से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करता है जिसे चंद्र मालिन्य कहा जाता है। इसके उपरांत चांद पृथ्वी की वास्तविक छाया भूभा में प्रवेश करता है।इसके अलावा जब चांद पृथ्वी की वास्तविक छाया भूभा में प्रवेश करता है तब चंद्र ग्रहण लगता है। हालाँकि इस बार चंद्रमा उपछाया में प्रवेश करने के बाद उपछाया संकु से ही बहार निकल जाएगा और भूभा में प्रवेश ही नहीं करेगा, जिस वजह से उपछाया के समय चंद्रमा का विंभ केवल धुंधला पड़ेगा। चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा का विंभ वैसे पूरा काला हो जाता है परंतु इस बार केवल धुंधलापन नजर आएगा जिसे सामान्य रूप से देखना भी काफी मुश्किल है। इन 5 चमत्कारिक मंत्र के जाप से दूर होंगे सभी दुःख संकट बहुमूल्य वस्तुओं को खरीदने का सही समय है आज, त्रिपुष्कर योग पर हो सकता है लाभ 8 जनवरी को है शुक्र प्रदोष व्रत, जानिये कब है कौन सा त्यौहार